राजगढ़। समाधिस्थ जैन आचार्य एवं महायोगी मुनिश्री विद्यासागर जी महाराज की परम प्रभावक शिष्या आर्यिका रत्न 105 पूर्णमति माताजी शुक्रवार को राजगढ़ नगर में पधारीं। श्रद्धालुओं ने गाजे बाजों के साथ खिलचीपुर नाका पर पहुंच कर संघ की अगवाई की और श्रीफल भेंट किए। सुबह 9 बजे आर्यिका संघ खिलचीपुर, बायपास से बस स्टैंड चौराहा होते हुए पीटी कंपनी स्थित श्री मुनि सुव्रत नाथ जिनालय पहुंचीं। जिनालय में आर्यिका संघ के सान्निध्य में भगवान श्री शांतिनाथ जी का कलाशाभिषेक और विश्व शांति की कामना के लिए विशेष शांति धारा की गई। इस अवसर पर राजगढ़, ब्यावरा के अलावा सुसनेर, पिड़ावा, डूंगरपुर, बांसवाड़ा सहित विभिन्न स्थानों से श्रद्धालु पधारे। 
अनेक  श्रद्धालुओं ने दिया साध्वियों को आहार दान :
धार्मिक अनुष्ठानों के बाद साध्वियों की जिनालय परिसर में  आहारचर्या हुई। विधिपूर्वक पड़गाहन के बाद दर्जनों श्रद्धालुओं ने साध्वियों को आहार कराया।
 ब्यावरा के लिए विहार कर गया संघ :
सामायिक के बाद आर्यिका संघ शाम 4 बजे जिनालय से ब्यावरा की ओर विहार कर गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु साध्वी संघ को विदाई देने कई किलोमीटर तक पैदल ब्यावरा की तरफ गए। शनिवार को सुबह साढ़े 8 बजे आर्यिका संघ का ब्यावरा नगर में भव्य प्रवेश होगा।
 

तलब है कि आर्यिका संघ डूंगरपुर राजस्थान से दमोह जिला स्थित कुंडलपुर तीर्थ की ओर पैदल विहार कर रहा है। संघ में कुल 9 साध्वियां और 13 ब्रह्मचारिणी दीदियां शामिल हैं।