उदनखेड़ी हायर सेकंडरी स्कूल में हालिया प्रशासनिक बदलावों ने शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है। यहाँ शिक्षा और नैतिकता के मूल्यों पर आधारित वातावरण को बनाए रखने की जिम्मेदारी प्रशासनिक पदाधिकारियों की होती है, परंतु कुछ हालिया घटनाओं से विद्यालय का वातावरण सवालों के घेरे में आ गया है।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, विद्यालय के पूर्व प्राचार्य गोरीलाल भिलाला पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। उनके छापीहेड़ा में कार्यकाल के दौरान कई वित्तीय अनियमितताओं की खबरें सामने आई थीं। बताया जा रहा है कि भिलाला ने अपने कार्यकाल में लगभग पाँच लाख रुपये का खर्च बिना किसी उचित रिकॉर्ड या प्रमाण के निकाला। इसके अलावा, उन पर छापीहेड़ा में कार्य करते समय लाखों रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जहाँ उनके कार्यों पर संदेह बना रहा।

इन आरोपों के बावजूद, नागर को उदनखेड़ी हायर सेकंडरी स्कूल के प्राचार्य पद से बिना किसी वजह या शिकायत के हटाकर, भिलाला को प्रभार सौंप दिया गया। 
हैरानी की बात यह है कि नागर को बिना किसी ठोस आरोप, जांच या शिकायत के अचानक से हटाया गया। यह निर्णय बिना किसी औपचारिक प्रक्रिया का पालन किए लिया गया, जिससे शिक्षा जगत में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। 
श्री नागर को बिना कारण हटाने और श्री भिलाला के पूर्व से भ्रष्ठ होने की शिकायतों के बावजूद उनकी नियुक्ति का निर्णय किसने और किन आधारों पर लिया, यह भी एक गंभीर जांच का विषय बन गया है।

जिला शिक्षा अधिकारी, राजगढ़ ने भिलाला को पत्र क्रमांक/ आडीट/2020/3062 और 2021/3294 के माध्यम से स्पष्टीकरण के लिए तलब किया है। शिक्षा विभाग ने उनसे पिछले सभी अनियमित वित्तीय लेन-देन का स्पष्टीकरण माँगा है। भिलाला की प्रशासनिक गलतियाँ जानबूझकर की गई लगती हैं, जिससे शिक्षा विभाग में नाराजगी व्याप्त है। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है, तो और कठोर कदम उठाए जाएंगे।

इस घटनाक्रम ने नागर को प्राचार्य पद से हटाने पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिक्षकों, अभिभावकों और समाज में यह चर्चा है कि नागर को हटाने का निर्णय किस आधार पर लिया गया और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे भिलाला को ही प्रभार क्यों सौंपा गया। शिक्षा जगत के लोग इस मामले में निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की माँग कर रहे हैं ताकि विद्यालय का वातावरण फिर से स्वच्छ और ईमानदार बना रहे।