अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक के हालिया अनुमानों के अनुसार, भारत ने 2025 में जापान को पीछे छोड़ते हुए, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जर्मनी के बाद दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
एक नए भारत का उदय
भारत के युवा मैनेजमेंट विश्लेषक आईआईपीएस मुंबई एलुमनाई डेवलेपमेंट प्रैक्टिशनर पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ.नयन प्रकाश गांधी ने भारत की अर्थव्यवस्था पर एक रिसर्च रिव्यू पेपर तैयार किया है जो  भारत की एक ऐसी तस्वीर पेश करता है जो आत्मविश्वास से भरा है, जिस पूरे विश्व ने सराहा है जो  अपनी क्षमताओं के प्रति जागरूक है और वैश्विक मंच पर अपनी नियति को आकार देने के लिए दृढ़ संकल्पित है। यह केवल एक कल्पना नहीं, बल्कि एक जीवंत वास्तविकता है, जिसे आँकड़ों, रणनीतिक बदलावों और जमीनी स्तर पर हो रहे परिवर्तनों से प्रमाणित किया जा सकता है। आज का भारत, 21वीं सदी के तीसरे दशक में, एक आर्थिक महाशक्ति, एक सांस्कृतिक प्रकाश स्तंभ और एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी पहचान को पुनर्परिभाषित कर रहा है। यह बदलाव आकस्मिक नहीं है; यह एक सोची-समझी रणनीति, करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाओं और एक निर्णायक नेतृत्व का परिणाम है, जिसने देश को "आत्मनिर्भरता" का मंत्र दिया है।यह आत्मनिर्भरता अलगाववाद नहीं, बल्कि आत्मविश्वास का प्रतीक है। यह अपनी आंतरिक शक्तियों को पहचानने, अपनी कमजोरियों को दूर करने और दुनिया के साथ बराबरी की शर्तों पर जुड़ने का एक आह्वान है। जैसा कि मूल लेख में कहा गया है, "भारत अब दबाव नहीं, साझेदारी चाहता है," यह नए भारत की विदेश नीति और वैश्विक दृष्टिकोण का सार है। हम अपनी युवा शक्ति, या 'युवा अमृत', और अपनी कालजयी सांस्कृतिक विरासत की नींव पर एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर रहे हैं जहाँ भारत न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि दुनिया के लिए आशा और स्थिरता का एक स्रोत भी बनेगा। यह विस्तृत विश्लेषण इन बढ़ते कदमों की गहन पड़ताल करेगा, उन नीतियों को समझेगा जो इस परिवर्तन को गति दे रही हैं, और उन आवाजों को सुनेगा जो इस नए अध्याय को लिख रही हैं।

 आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत का उदय - एक प्रगतिशील सकारात्मक दृष्टिकोण
भारत की आर्थिक प्रगति आज विश्व में चर्चा का विषय है। यह केवल कुछ प्रतिशत की वृद्धि का मामला नहीं है, बल्कि यह एक संरचनात्मक परिवर्तन है जो भारत को दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं की लीग में मजबूती से स्थापित कर रहा है।

 विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: एक ऐतिहासिक मील का पत्थर

अंतराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान मुंबई विश्विद्यालय( आईआईएपीएस मुंबई ) के एलुमनाई डॉ नयन प्रकाश गांधी ने अपने अध्ययन में भारत को चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बताया गया है, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक के हालिया अनुमानों के अनुसार, भारत ने 2025 में जापान को पीछे छोड़ते हुए, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जर्मनी के बाद दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान हासिल कर लिया है। भारत का सांकेतिक सकल घरेलू उत्पाद (Nominal GDP) लगभग $4.19 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है।यह उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि केवल एक दशक पहले, भारत को 'फ्रैजाइल फाइव' (Fragile Five) यानी दुनिया की पाँच सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था। वहाँ से यहाँ तक का सफर अभूतपूर्व रहा है। यह वृद्धि केवल आकस्मिक नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई महत्वपूर्ण सुधारों की एक श्रृंखला है, जिसमें वस्तु एवं सेवा कर (GST) का क्रियान्वयन, दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC), और व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देने वाले सैकड़ों सुधार शामिल हैं।

 

 विकास की तीव्र गति: दुनिया का ग्रोथ इंजन

भारत आज केवल भौगोलिक दृष्टि से आकार में ही नहीं, बल्कि आर्थिक स्तर पर  विकास की गति में भी विश्व का नेतृत्व कर रहा है।

IMF का पूर्वानुमान: IMF ने 2025 और 2026 के लिए भारत की विकास दर 6.4% रहने का अनुमान लगाया है, जो दुनिया की किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था में सबसे तेज है।

चीन से तुलना: इसकी तुलना में, चीन की विकास दर 4.8% और अमेरिका की 1.9% अनुमानित है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वैश्विक आर्थिक विकास का केंद्र अब भारत की ओर स्थानांतरित हो रहा है।

कोरोना के बाद V-आकार की रिकवरी: भारतीय अर्थव्यवस्था ने COVID-19 महामारी के प्रभाव से उबरते हुए एक मजबूत 'V-आकार' की रिकवरी का प्रदर्शन किया, जो इसकी आंतरिक लचीलता और मजबूत मैक्रो-इकोनॉमिक फंडामेंटल को दर्शाता है।

 अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्तंभ

यह वृद्धि बहुआयामी है, जिसे अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र मिलकर चला रहे हैं:

सेवा क्षेत्र (Services Sector): भारत का सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (IT), बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO), और वित्तीय सेवाएँ, अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है। यह वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता का एक प्रमुख स्रोत है।

विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector): 'मेक इन इंडिया' और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के माध्यम से विनिर्माण क्षेत्र को एक बड़ा बढ़ावा मिला है। भारत अब मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है।

कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector): कृषि अभी भी भारत की आबादी के एक बड़े हिस्से को रोजगार देती है। प्रौद्योगिकी, बेहतर सिंचाई और किसान-केंद्रित योजनाओं के माध्यम से इस क्षेत्र को अधिक उत्पादक और लाभदायक बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

 शीर्ष नेतृत्व का आर्थिक दृष्टिकोण

इस आर्थिक परिवर्तन को देश का शीर्ष नेतृत्व एक स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ा रहा है।

आइए जानते है भारत के विकास हेतु शीर्ष नेतृत्व अपने अपने स्तर पर क्या कहते है और अपने अपने लक्ष्य के लिए समर्पित है ।।।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी:

पीएम मोदी ने भारत को 2047 तक 'विकसित भारत' बनाने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। कई बार मन की बात में और अन्य भाषणों में भी प्रधानमंत्री जी ने  कहा है उनका दृष्टिकोण भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने पर केंद्रित है। उन्होंने बार-बार कहा है, यह भारत का समय है। आज भारत में जो आत्मविश्वास आया है, वह अभूतपूर्व है। हम न केवल अपने लिए, बल्कि 'विश्व कल्याण' के लिए उत्पादन कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य केवल 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना नहीं है, बल्कि अगले कुछ वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनना है, और हम यह करके रहेंगे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू:

संसद में अपने अभिभाषण में, राष्ट्रपति ने सरकार के आर्थिक एजेंडे को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "मेरी सरकार का दृढ़ विश्वास है कि भारत अगले कुछ वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। यह विकास समावेशी होगा, जिसमें गरीबों, किसानों, महिलाओं और युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के मंत्र के साथ देश आगे बढ़ रहा है।"

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल:

व्यापार और निर्यात के मोर्चे पर, पीयूष गोयल का दृष्टिकोण स्पष्ट है। उन्होंने कहा है, "आज भारत आत्मविश्वास से आगे बढ़ रहा है। हमारे निर्यात लगातार बढ़ रहे हैं। हमने संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों के साथ ऐतिहासिक व्यापार समझौते किए हैं। हम दुनिया के साथ अपनी शर्तों पर व्यापार कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे किसानों, श्रमिकों और छोटे उद्यमियों के हितों की रक्षा हो।"

 आत्मनिर्भर भारत - एक राष्ट्रीय संकल्प
'आत्मनिर्भर भारत' अभियान, जिसे मई 2020 में लॉन्च किया गया था, केवल एक आर्थिक पैकेज नहीं था, बल्कि यह भारत की मानसिकता में एक स्थायी परिवर्तन लाने का एक आह्वान था। इसका उद्देश्य भारत को हर महत्वपूर्ण क्षेत्र में सक्षम और आत्मनिर्भर बनाना है ताकि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में किसी भी रुकावट या बाहरी दबाव का सामना मजबूती से किया जा सके।

 अभियान का मूलमंत्र: क्षमता और आत्मविश्वास

आत्मनिर्भरता का अर्थ दुनिया से कटना नहीं है, बल्कि दुनिया के लिए और अधिक करना है। यह 'वोकल फॉर लोकल' से शुरू होता है और 'मेक फॉर द वर्ल्ड' तक जाता है। इसका लक्ष्य 5 स्तंभों पर आधारित है: अर्थव्यवस्था (Economy), अवसंरचना (Infrastructure), प्रणाली (System), जीवंत जनसांख्यिकी (Vibrant Demography), और मांग (Demand)।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता: एक रणनीतिक अनिवार्यता

भारत दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातकों में से एक रहा है। इस निर्भरता को समाप्त करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सर्वोपरि है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह:

राजनाथ सिंह इस मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है, "प्रधानमंत्री मोदी ने मुझे फिर से रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी है... हमारा सबसे बड़ा उद्देश्य रक्षा उत्पाद में आत्मनिर्भर बनना है। हमने ₹21,000 करोड़ से अधिक के रक्षा उपकरणों का निर्यात किया है। हमारा लक्ष्य अगले 5 वर्षों में इस आँकड़े को ₹50,000 करोड़ तक ले जाना है। हम अपनी सेनाओं को स्वदेशी और सर्वश्रेष्ठ हथियारों से लैस करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं:

सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची: सैकड़ों रक्षा उपकरणों की सूचियाँ जारी की गई हैं जिन्हें अब केवल भारतीय कंपनियों से ही खरीदा जाएगा।

स्वदेशी नवाचार: तेजस लड़ाकू विमान, अर्जुन टैंक, ब्रह्मोस मिसाइल और आईएनएस विक्रांत जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म भारत की बढ़ती रक्षा-औद्योगिक क्षमता के प्रमाण हैं।

रक्षा गलियारे: उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों का विकास किया जा रहा है ताकि एक मजबूत रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सके।

 बुनियादी ढाँचे का विकास: आर्थिक प्रगति की धमनियाँ

किसी भी देश की आर्थिक प्रगति उसके बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। भारत इस क्षेत्र में एक क्रांति देख रहा है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी:

नितिन गडकरी को अक्सर 'भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर मैन' कहा जाता है। उनका मानना है कि सड़कें समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती हैं। उन्होंने कहा है, "एक समृद्ध भविष्य के लिए उन्नत बुनियादी ढाँचा, नवाचार और सुधार आवश्यक हैं। हमारा लक्ष्य विश्व स्तरीय सड़क नेटवर्क का निर्माण करना है, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना है और देश के हर कोने को विकास की मुख्य धारा से जोड़ना है। अच्छा बुनियादी ढाँचा विनिर्माण और कृषि दोनों क्षेत्रों की लागत को कम करता है, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धी बनती है।"

गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान: यह विभिन्न मंत्रालयों को एक साथ लाने वाला एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है ताकि बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की योजना और कार्यान्वयन में तालमेल बनाया जा सके।

सड़क और रेल नेटवर्क: राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण रिकॉर्ड गति से हो रहा है, और वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनों के साथ रेलवे का कायाकल्प किया जा रहा है।

डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्तीय समावेश

गृह मंत्री अमित शाह:

अमित शाह ने प्रौद्योगिकी की लोकतांत्रिक शक्ति पर जोर दिया है। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार ने प्रौद्योगिकी के उपयोग को लोकतांत्रिक बनाया है, जिससे भारत पिछले 11 वर्षों में दुनिया में एक अग्रणी डिजिटल अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। चाहे स्वास्थ्य हो, शिक्षा हो या वाणिज्य, डिजिटल क्रांति ने हर क्षेत्र को बदल दिया है। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, हमारी घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और बाहरी दबावों को झेलने में सक्षम है।"

यूपीआई (UPI): भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) एक वैश्विक केस स्टडी बन गया है, जो डिजिटल भुगतान में क्रांति ला रहा है।

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT): सरकार अब करोड़ों लाभार्थियों को सीधे उनके बैंक खातों में सब्सिडी और वित्तीय सहायता भेजती है, जिससे भ्रष्टाचार समाप्त हो गया है।

 युवा शक्ति और सांस्कृतिक विरासत - भारत की सॉफ्ट पावर
भारत की ताकत सिर्फ उसकी अर्थव्यवस्था में नहीं, बल्कि उसकी सबसे बड़ी संपत्ति - उसके लोगों, विशेषकर युवाओं - और उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में निहित है।

 जनसांख्यिकीय लाभांश: दुनिया का सबसे युवा देश

भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है। 65% से अधिक भारतीय 35 वर्ष से कम आयु के हैं। यह 'युवा शक्ति' या जनसांख्यिकीय लाभांश भारत के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रस्तुत करता है।

अवसर: यह एक विशाल, ऊर्जावान और महत्वाकांक्षी कार्यबल प्रदान करता है जो नवाचार और विकास को गति दे सकता है।

चुनौती: इस युवा आबादी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कौशल और रोजगार के अवसर प्रदान करना एक बड़ी चुनौती है, जिसे 'स्किल इंडिया', 'स्टार्ट-अप इंडिया' और नई शिक्षा नीति जैसी पहलों के माध्यम से संबोधित किया जा रहा है।

 वैश्विक मंच पर भारतीय संस्कृति

भारत की सांस्कृतिक विरासत इसकी 'सॉफ्ट पावर' का एक शक्तिशाली स्रोत है, जो दुनिया भर में दिलों और दिमागों को जीत रही है।

योग और आयुर्वेद: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को वैश्विक मान्यता मिलना और आयुर्वेद में बढ़ती रुचि भारत के पारंपरिक ज्ञान के वैश्विक प्रभाव को दर्शाती है।

सिनेमा और संगीत: भारतीय सिनेमा (बॉलीवुड) और संगीत की पहुँच मध्य पूर्व से लेकर अफ्रीका और यूरोप तक है।

त्योहार: दिवाली, होली और अन्य भारतीय त्योहार अब दुनिया भर के कई शहरों में मनाए जाते हैं, जो सांस्कृतिक कूटनीति का एक रूप है।

 राज्यों की भूमिका: विकास के क्षेत्रीय इंजन

भारत का विकास एक सहकारी संघवाद का मॉडल है, जहाँ केंद्र और राज्य मिलकर काम करते हैं। राज्यों के मुख्यमंत्री अपने-अपने प्रदेशों को विकास के पथ पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मोहन यादव, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश:

मध्य प्रदेश की क्षमता को उजागर करते हुए, सीएम मोहन यादव ने कहा है, "हमारा लक्ष्य आने वाले 5 वर्षों में राज्य की अर्थव्यवस्था को दोगुना करना है, और हम इसे तीन साल में ही पूरा करने का प्रयास करेंगे। हम प्रदेश में बड़े उद्योगों के साथ-साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों पर भी ध्यान दे रहे हैं ताकि युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हों।"

भजनलाल शर्मा, मुख्यमंत्री, राजस्थान:

राजस्थान के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए, सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा, "हमारी सरकार राजस्थान की आर्थिक समृद्धि और सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत' के सपने को साकार करने के लिए राजस्थान को एक अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।"

शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री:

पूर्व मुख्यमंत्री और अब केंद्रीय मंत्री के रूप में, शिवराज सिंह चौहान का ध्यान ग्रामीण भारत पर है। उन्होंने कहा, "हमें ग्रामीण विकास की हर योजना पर पूरी ताकत से काम करना होगा, तभी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का विकसित भारत का सपना पूरा होगा। किसानों का कल्याण और कृषि क्षेत्र की प्रगति हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।"

 वैश्विक मंच पर नया भारत
भारत की बढ़ती आर्थिक और सैन्य ताकत इसकी विदेश नीति में भी झलकती है। आज का भारत एक मुखर, आत्मविश्वास से भरा और एक जिम्मेदार वैश्विक खिलाड़ी है।

दबाव नहीं, साझेदारी: एक नई विदेश नीति

जैसा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के  शीर्ष नेतृत्व में हर जगह हर स्तर पर जैसा कि उल्लेख किया गया है, भारत अब किसी के दबाव में नहीं आता। यह 'भारत प्रथम' की नीति के साथ अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखता है।

बहु-संरेखण (Multi-alignment): भारत ने गुटनिरपेक्षता की पुरानी नीति को छोड़कर बहु-संरेखण का मार्ग अपनाया है। यह एक ही समय में QUAD (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ) और SCO (चीन, रूस के साथ) जैसे विभिन्न समूहों का हिस्सा है, जो इसके रणनीतिक लचीलेपन को दर्शाता है।

G20 की अध्यक्षता: भारत द्वारा G20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन इसकी बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा और नेतृत्व क्षमता का प्रमाण था। 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' का नारा वैश्विक चुनौतियों के प्रति भारत के समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है।

लोकतंत्र की ताकत

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला:

भारत की सबसे बड़ी ताकत उसका लोकतंत्र है। ओम बिड़ला ने इस भावना को व्यक्त करते हुए कहा, "भारत लोकतंत्र की जननी है और लोकतंत्र हमारे राष्ट्र का सुदृढ़ आधार है। जब-जब लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास हुआ, भारत की जनता ने उसका दृढ़ प्रतिकार किया।" भारत का जीवंत लोकतंत्र इसे दुनिया में एक विश्वसनीय और स्थिर भागीदार बनाता है, जो निवेशकों और सहयोगियों को आकर्षित करता है।

 2020-21 में महामारी के कारण आई तेज गिरावट के बाद, भारतीय अर्थव्यवस्था ने अगले ही वर्ष एक असाधारण उछाल दर्ज किया। इसके बाद के वर्षों में 7% से 8% की सीमा में लगातार उच्च वृद्धि दर ने इसे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया है। यह प्रवृत्ति दर्शाती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांत मजबूत हैं और इसमें बाहरी झटकों को सहने और तेजी से वापसी करने की क्षमता है। 4 ट्रिलियन डॉलर के आँकड़े को पार करना एक मनोवैज्ञानिक और आर्थिक मील का पत्थर है, जो भारत को वैश्विक शक्ति समीकरण में एक नए स्तर पर ले जाता है।

भविष्य की ओर अग्रसर देदीप्यमान युवा भारत - डॉ नयन प्रकाश गांधी
डॉ. नयन प्रकाश गांधी का लेख उस भारत की नब्ज को पकड़ता है जो आज दुनिया देख रही है - एक ऐसा भारत जो अपनी पहचान पर गर्व करता है, अपनी क्षमताओं में विश्वास करता है, और अपने भविष्य को लेकर आशान्वित है।

यह यात्रा चार प्रमुख स्तंभों पर टिकी है:

आर्थिक शक्ति: दुनिया की चौथी सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत वैश्विक विकास का एक प्रमुख चालक है।

आत्मनिर्भरता: रक्षा, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनने का संकल्प भारत को लचीला और मजबूत बना रहा है।

युवा शक्ति: करोड़ों युवाओं की ऊर्जा और आकांक्षाएँ इस राष्ट्र को असीम संभावनाएँ प्रदान करती हैं।

सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक विरासत: भारत का सॉफ्ट पावर और उसका स्थिर लोकतंत्र दुनिया के लिए एक आकर्षण और आश्वासन है।

डॉ नयन प्रकाश गांधी का कहना है कि आज यशस्वी प्रधानमंत्री जिनके नेतृत्व में एकीकृत  लक्ष्य केवल आर्थिक विकास हासिल करना नहीं है, बल्कि एक 'विकसित भारत' समुन्नत राष्ट्र का निर्माण करना है - एक ऐसा भारत जो समृद्ध हो, समावेशी हो, और संपूर्ण राष्ट्र  में एक अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार हो। यह मानना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि 21वीं सदी भारत की सदी होने की पूरी क्षमता रखती है।आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते ये कदम वास्तव में भारत को एक बुलंद वैश्विक तस्वीर के रूप में स्थापित कर रहे हैं।

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