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जीरापुर(सं.):- बिगडेल यातायात व्यवस्था एवं वाहनों के पार्किंग स्थल के अभाव में नगर के अनेकों स्थानों पर आम रास्ता में जाम कि स्थिति निर्मित होती है।
      दिनों-दिन बढ़ती आबादी एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों कि बढ़ोतरी के साथ-साथ दो पहिया एवं चार पहिया वाहन की रेलमपेल एवं इनके लिए व्यवस्थित वाहन खड़े करने के स्थान के अभाव में पैदल राहगीरों को भी परेशानी का सामना करने पर मजबुर होना पड़ता है।
            नगर के मुख्य मुख्य मार्गों पर यातायात व्यवस्था अवरूद्ध होना सबसे बड़ी समस्या है।
              जब शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र से सामान क्रय विक्रय के लिए दुकानों पर ग्राहक पहुंचता है तो ऐसे में उनके वाहनों को पार्किंग स्थल के अभाव में दुकानों के सामने खड़े कर दिए जाते हैं ऐसे में दोनों साइड पर वाहन लगने से आम मार्ग सकरा हो जाता है जिससे राहगीरों एवं अन्य वाहनों को निकलने में परेशानी उठानी पड़ती है।
        हालांकि वास्तविकता देखी जाये तो दुकानदारों ने भी अपनी दुकानों के आगे अपना सामान रख रखा जिससे वाहनों को आम रास्ते के नजदीक वाहन खड़े करना पड़ता है जिसका खामियाजा अन्य वाहन चालकों एवं आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है।
    इन परेशानियों से अनेकों बार दुर्घटना घटने के बाद अस्पताल में आने वाले वाहन प्रसुति के लिए आने वाले वाहन जब अव्यस्थित खड़े वाहनों के कारण रूकते हैं जिन्हें बमुश्किल अस्पताल गेट के अन्दर किये जातें हैं।
     वजह यह है कि नगर के मध्य सिविल अस्पताल स्थित है।
   दुसरी ओर देखा जाए तो फल सब्जी अन्य रिटेलर सामान के हाथ ठेले जो दुकानों के आगे खड़े करके अपनी जीविका चलाते हैं जोकि यातायात में बाधक बने होते हैं। इन हाथ ठेले से जो जगह वाहनों के लिए होती है वह खत्म हो जाती है।
*मुख्य वजह नगर परिषद की उदासीनता*
      नगर की बिगडेल यातायात व्यवस्था एवं वाहन पार्किंग स्थल की गम्भीर समस्या को समाचार पत्र के माध्यम से लगभग दो दशक से उजागर किया जा रहा है लेकिन नगर की इस गम्भीर समस्या पर प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों ने गम्भीर चिन्तन करना उचित नहीं समझा जिससे समस्या आयें दिन बढ़ती जा रही है।
       इतना ही नहीं अपितु पुर्व में नगर परिषद को उक्त समस्या से अवगत कराया जा कर तहसील कार्यालय के समीप वाहन पार्किंग स्थल निर्मित करने के सुझाव दिए गए परन्तु उक्त समस्या को नजरंदाज करके उक्त भूमि पर पार्क निर्माण जरूर किया जा चुका है।
                ऐसे अवसर भी आये जब नगर परिषद ने अतिक्रमण मुहिम चला कर दुकानदारों को बेदखल किया लेकिन अल्प समय में स्थिति ज्यों कि त्यों बन जाती है जिससे यह जरूर साबित होता है कि औपचारिकता पूरी की गई।