छेडछाड करने वाले आरोपी को 03 साल की सजा*

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राजगढ। जिला न्यायालय राजगढ में पदस्थ तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं विषेष न्यायाधीष पॉक्सो एक्ट श्री अब्दुल कदीर मंसूरी राजगढ ने अपने न्यायालय के सत्र प्रकरण क्रमांक एससी/59/2023 धारा 354, 354घ, 506 भाग02 भादवि एवं धारा 7/8 पॉक्सो में फैसला सुनाते हुयें अभियुक्त रोहन (परिवर्तित नाम) को धारा 7/8 पॉक्सो एक्ट में 03 साल का सश्रम कारावास एवं 3,000/-रू के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। इस प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री आलोक श्रीवास्तव राजगढ ने की है।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि दिनांक 03.04.2023 को पीड़ित बालिका ने थाना माचलपुर में उपस्थित होकर इस आशय की रिपोर्ट लेखबद्ध करायी कि उसके गांव का अभियुक्त रोहन (परिवर्तित नाम) करीब दो-तीन महीने से लगातार उसका पीछा कर रहा है। जब भी वह कहीं भी बाहर आती-जाती थी तो उसके पीछे आ जाता है और उस पर बुरी नजर रखता है। उक्त घटना दिनांक को भी जब वह दोपहर करीब 12:30 बजे कक्षा 12वीं का पेपर देकर स्कूल से घर जा रही थी, तब उसके घर के पास अभियुक्त रोहन (परिवर्तित नाम) ने आकर उससे कहा कि वह उससे बात किया करे। जब उसने रोहन (परिवर्तित नाम) से बात करने से मना किया तो अभियुक्त ने पीड़ित बालिका का बुरी नियत से दाहिना हाथ पकड़ लिया एवं उसके चिल्लाने पर उसकी मां एवं पिता आ गये, जिन्हें देखकर अभियुक्त भाग गया और जाते-जाते पीड़ित बालिका को जान से मारने की धमकी दी। फिर पीड़ित बालिका द्वारा सारी बात अपने माता-पिता और दादी का बतायी और उनके साथ रिपोर्ट करने के लिए संबंधित आरक्षी केन्द्र गयी। पीड़ित बालिका की रिपोर्ट पर से आरक्षी केन्द्र माचलपुर में प्रथम सूचना रिपोर्ट अपराध क्र0 97/2023 अंतर्गत धारा 354, 354घ, 506 भाग02 भा0द0स0 एवं धारा 7/8 पॉक्सो एक्ट के रूप में अभियुक्त के विरूद्ध पंजीबद्व की जाकर प्रकरण की विवेचना प्रारंभ की गयी। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र विशेष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
प्रकरण में विचारण के दौरान प्रकरण में भारसाधक विषेष लोक अभियोजक श्री आलोक श्रीवास्तव राजगढ द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष अभियोजन की ओर प्रकरण के महत्वपूर्ण 07 गवाहों के न्यायालय में कथन कराये और तर्क प्रस्तुत किये। विचारण उपरांत माननीय न्यायालय ने अभियुक्त रोहन (परिवर्तित नाम) को धारा 7/8 पॉक्सो एक्ट में 03 साल का सश्रम कारावास एवं 3,000/-रू के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। इस प्रकरण में अभियोजन के अथक प्रयासों से अभियोक्त्री को मध्यप्रदेश पीडित प्रतिकर योजना 2015 के तहत उचित रूपये क्षतिपूर्ती दिये जाने की भी अनुशंसा की है।