क्या राजगढ़ को सिर्फ रेफरल अस्पताल का ही हक या इससे भी ज्यादा कुछ होगा?


राजगढ़ जिले को दो-दो मंत्री मिल गए है लेकिन जिले का जिला चिकित्सालय अब भी रेफरल अस्पताल बना हुआ है. यहां का अस्पताल सिर्फ लिफाफे छाप अस्पताल बना हुआ है जहां बजट तो भरपूर आता है लेकिन जाता कहां है इसका हिसाब कोई नहीं जानता, यहां बजट भरपूर खर्च किया जाता है लेकिन मरीजों को इलाज की जगह सिर्फ रेफरल कार्ड ही मिलता है जिला अस्पताल के आला अधिकारी शासन प्रशासन को कुछ नहीं समझते हैं उक्त आरोप हिंदू उत्सव समिति के पूर्व अध्यक्ष ओम सिंगी बाबा ने लगाए है।


कभी दुखी लोग यहां से खुश होकर जाते थे

हिंदू उत्सव समिति के पूर्व अध्यक्ष ओम सिंगी बाबा ने बताया की एक जमाना था की राजगढ़ के जिला चिकित्सालय में राजस्थान के झालावाड, मनोहरथाना, अकलेरा क्षेत्र के सेंकड़ो मरीज यहां इलाज कराने आते थे. राजस्थान सहित जिले और आसपास के जिलों के लोग किसी जमाने दुखी होकर आते थे लेकिन अपने इलाज से संतुष्ट होकर खुश होकर जाते थे. लेकिन जिले के अस्पताल की दुर्दशा किसी से नहीं छिपी है. बजट आता है और कागजो में बजट गायब होकर आपस में बंट जाता है. क्या जिले में दो दो मंत्री मिल जाने के बाद अब जिले के अस्पताल की जांच करवाकर यहां की स्थिति सुधरेगी।

जिले में सेंकड़ो तरह की जांच की उत्कृष्ट मशीने धूल खा रही है. जिला अस्पताल में कोरोना के लिए लाखों रुपए खर्च कर कोरोना के दौरान बनाया गया हवामहल अब नष्ट हो गया है. इमरजेंसी वार्डो में कुत्ते, गाय घूमते कई बार पाए गए, लेकिन यहां की दुर्दशा नहीं सुधरी,  डिलेवरी करवाने के लिए बहुत परेशानी आती है रेफर किया जाता है पानी की टंकी में छिपकली का निकलना है इस तरह की अनेक अव्यवस्थाएं हैं लेकिन  अब जिले में दो दो मंत्री है. जनता को आस है की दोनों मंत्रीजी एक दौरा राजगढ़ के विधायक अमर सिंह  यादव के साथ जिला चिकित्सालय का करेंगे और यहां की दुर्दशा पर चर्चा भी करेंगे।

उम्मीद है की मंत्री नारायणसिंह पवार और मंत्री गौतम टेटवाल को मंत्रीत्व पद मिलने के बाद अपना दायित्व निभाते हुए दोनों राजगढ़ के जिला चिकित्सालय का भविष्य संवारने के कदम उठाएंगे।