*। जहां कुछ दशक पहले तक दुपहिया एवं चार पहिया वाहनों को विलासिता पूर्ण वस्तुओं की श्रेणी में माना जाता था,  वहीं आज यह वाहन जीवन की मुलभूत आवश्यकता बन गये हैं। विशेष तौर पर नयी पीढ़ी के लिए इनकी आवश्यकता कई गुना अधिक हो गयी है ।

सड़कों पर बढ़ते वाहनों के दबाव एवं बिना लाइसेंस धारी व्यक्तियों के द्वारा वाहन चलाने तथा नाबालिग बच्चों द्वारा वाहन चलाने एवं अनियंत्रित गति के कारण सड़क दुर्घटनायें भी काफी तेजी से बढ़ रही है । ऐसे व्यक्ति इन सडक हादसों में अपने शरीर के महत्वपूर्ण अंग गंवा देने अथवा हाथ पैर कमर आदि अंग कमजोर हो जाने वाले व्यक्तियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के एक सर्वे के मुताबिक हमारे भारत देश में प्रति वर्ष सड़क हादसों में मरने वालों का सख्या 5 लाख तक हो गयी है।

मैने इस लेख में जिन कारणों को सडक दुर्घटनाओं के लिए सबसे ज्यादा उत्तरदायी बताया है उनमें से *एक अति महत्वपूर्ण कारण अनियंत्रित गति से वाहन चलाना है* जिसे आम नागरिक अपनी जागरूकता से रोक सकते है। आज प्रत्येक व्यक्ति एवं हर परिवार कहीं न कहीं इस अनजाने भय से ग्रसित है कि उसका अथवा उसके परिवार के किसी सदस्य का कभी भी कहीं पर भी एक्सीडेन्ट हो सकता है। यदि हम अपने वाहन से 100 किलोमीटर की दूरी अनियत्रित गति/रफ्तार से चलकर तय करते हैं और सामान्य नियंत्रित गति से यही दूरी तय करते हैं तो गन्तव्य पर पहुंचन के बाद हम केवल 15-20 मिनिट ही बचा पाते हैं किन्तु यात्रा के दौरान पूरी 100 किमी की दूरी में यह अधिक रफतार होने पर एक्सीडेन्ट का खतरा हमेशा बना रहता है और हम तेज रफतार पर चलने से न केवल अपनी जान जोखिम में डालते है बल्कि दूसरों के जीवन के लिए भी खतरनाक ड्राइविंग करते हैं ।

आइये अब हम इस बिन्दु पर विचार कर कि हम कैसे पूर्ण विलासितापूर्ण जीवन गुजारते हुए अपने आपको एवं परिवार के प्रत्येक सदस्य को इस अनजाने भय से काफी हद तक मुक्त कर सकते है और पर्यावरण संरक्षण तथा देश की आर्थिक स्थिति को उन्नत बनाने में भी अपना अभूतपूर्व योगदान कर सकते है। 

विगत दिनों में *माननीय सर्वोच्च न्यायालय* के द्वारा बढती सडक दुर्घटनाओं पर  चिंता व्यक्त करते हुए दो पहिया वाहनों के लिए हेल्मेट अनिवार्य किये जाने का समाचार पढकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई कि हमारे देश की माननीय सुप्रीम कोर्ट हमारे देश के नागरिकों के लिए अत्यधिक संवेदनशील है ।

हेल्मेट की अनिवार्यता से रोड एक्सीडेन्ट में मृतक की संख्या तो कम की जा सकती है किन्तु एक्सीडेन्ट कम होगे ऐसी कोई संभावना नहीं है। *पर इसका यह अर्थ नहीं है कि हम बिना हेल्मेट पहने या बिना सीट बेल्ट लगाये ही वाहन चलाने लग जाये* भारत देश में अधिकांश एक्सीडेन्ट की घटनायें लगभग 80 से 85 प्रतिशत तक वाहनों की अधिक और अनियंत्रित स्पीड के कारण ही होती है। इस कारण यदि वाहनों में स्पीड कन्ट्रोल (Speed Controller) लगाये जाकर गति नियंत्रण किए जाने की दिशा में कार्य किया जाता है तो निश्चित ही एक्सीडेन्ट की घटनाओं में कमी आएगी और यह कमी 50 से 70 प्रतिशत तक हो सकती है जो एक अभूतपूर्व कमी हो सकेगी ।

कुछ दिनों तक लोगों की स्पीड कम होने से परेशानिया होगी किन्तु कुछ दिनों में लोगों की आदत पड़ जायेगी। इस संबंध में आम नागरिकों से मेरी यह अपेक्षा है कि प्रत्येक जागरूक व्यक्ति अपने आपको, अपने परिवार को एवं देश के भावी नागरिकों के रूप में अपने ननिहालों को सुरक्षित रखने हेतु *अपने वाहनों की नियंत्रित गति के लिए निम्न प्रयास अवश्य ही करें*:-

(1) सभी प्रकार की गाडियों की गति उनकी क्षमता के मान से नियत की जानी चाहिए। जैसे दुपहिया एवं तिपहिया वाहनों की गति 40-50 किमी/प्रतिघण्टा हल्के चार पहिया वाहनों की गति 60-70 किमी/प्रतिघण्टा तथा भारी वाहन बस की गति 70-80 किमी/प्रतिघण्टा, ट्रक की गति 60-80 किमी/प्रतिघण्टा निर्धारित होनी चाहिए इस कार्य से यात्रा में समय अवश्य ही लगेगा किन्तु वह समय हमारे द्वारा तेज गति और नियंत्रित गति से वाहन चलाकर गन्तव्य तक पहुंचने में बचाये गये समय में कोई बहुत अधिक अंतर नहीं होगा, जैसा कि हमने बताया कि 100 किलोमीटर के सफर में यह अंतर महज 15-20 मिनिट का ही होता है । वैसे भी भारतवर्ष के 95 प्रतिशत लोगों के पास पर्याप्त समय है केवल 5 प्रतिशत लोग ही ऐसे हैं जिनका समय बहुमूल्य है। 

 

(2). नये वाहनों में आटोमोबाइल्स कंपनी ही स्पीड कन्ट्रोल लगाकर ही गाडिया विक्रय हेतु भेजें जबकि पुराने वाहनों में नियत समय के अंदर स्पीड कन्ट्रोल की कीमत अदा करने पर क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों से अथवा पुलिस थाना से इन्हें वाहनों में लगवाया जावे और नियत समयावधि के बाद वाहनों की चेकिंग के दौरान स्पीड कन्ट्रोल न होने पर जुर्माना लगाया जाये। किसी भी वाहन का स्पीड कन्ट्रोल काम न करने पर या उखड़ा हुआ या बंद पाये जाने पर भी फाइन लगाये जाने की व्यवस्था होनी चाहिए । फाइन की राशि भी अधिकतम होनी चाहिए ताकि लोग इन प्रावधानों का आवश्यक रूप से पालन करें ।

*वाहनों की गति नियंत्रित होने पर निश्चित रूप से निम्नांकित लाभ होगे*:-

 

(1) रोड एक्सीडेन्ट की घटनायें कम होगी क्योकि अधिकांश युवा वर्ग अनियंत्रित गति से ही वाहनों को चलाते हैं। एक्सीडेन्ट कम होने से असमय मृत्यु एवं अपंगता तथा एक्सीडेन्ट में चोटिल व्यक्ति की संख्या निश्चित तौर पर काफी कम होगी।

 

(2) छोटे वाहनों की गति नियंत्रित होने पर लोग बडें वाहनों एवं पब्लिक व्हीकल्स का अधिक उपयोग करने हेतु प्रेरित होगे ।

 

(3) पब्लिक व्हीकल्स का उपयोग बढने से देश में पेट्रोल एवं डीजल की खपत कम होगी और विदेशों से आयात के द्वारा आने वाले तेल पर व्यय होने वाली बहुत बडी राशि बचायी जा सकेगी। जिससे देश का विदेशी पूंजी भण्डार बढेगा।

 

(4) पब्लिक व्हीकल का अधिक उपयोग करने से पर्यावरणीय प्रदूषण कम होगा ओजोन परत की क्षति भी कम होगी जिससे मौसम एवं लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा होगा। दीर्घ काल में पर्यावरण ठीक होने से समय से पर्याप्त वारिश होगी। अधिक गर्मी एवं अत्यधिक ठंड से भी लोगों को निजात मिलेगी। असमान रूप से बारिश होने से आने वाली बाढ से होने वाली जन धन की हानि भी कम हो सकेगी।

इस लेख के माध्यम से मेरे इस लेख के प्रत्येक पाठक एवं समस्त छोटे-बड़े नेताओं से यह गुजारिश है कि इस *पुनीत एवं अतिमहत्वपूर्ण कार्य* के लिए आज से ही अपने शहर से ही शुरूआत करें और स्थानीय प्राधिकारी एवं सक्षम सरकार से वाहनों में स्पीड कन्ट्रोल लगाए जाने के समुचित प्रयास करने की दिशा में अग्रसर हो। प्रारंम्भिक स्तर पर इस कार्य में बहुत मुश्किले आयेगी किन्तु हमें अपने होसले बनाये रखना हैं। और अपने इस छोटे से शहर का नाम पूरे विश्व में आन्दोलन के प्रारम्भकर्ता शहर के रूप में स्थापित करना है।

 मैं आपको यकीन दिलाता हुँ यदि हमने सही ईमानदारी से इस कार्य का प्रयास किया तो यह एक बहुत बडा जन आन्दोलन होगा जिसे सम्पूर्ण भारतवर्ष में सराहा जायेगा एवं अपनाया भी जायेगा। जब तक हम अपने वाहनों में स्पीड कन्ट्रोल नही लगवा पाते तब तक हम अपने वाहनों का नियंत्रित गति से चलाने का संकल्प करें और इस संकल्प के लिए आज से ही कृत संकल्पित रहें। 

 

*आलोक श्रीवास्तव*

*जिला अभियोजन अधिकारी*

*राजगढ़*