.संडावता से गिरिराज किशोर गुप्ता की रिपोर्ट.           
संडावता नगर के श्रीनृसिंह मंदिर परिसर में पंडित मनोज नागर  के मुखारविंद से चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का सोमवार को हवन की पुर्णाहुति, व्यासगादी एवं श्रीमद् भागवद् पुराण पूजन, महाप्रसादी वितरण  के साथ विधिवत समापन हुआ। नगर की महिलाओं द्वारा आयोजित इस विशाल आयोजन  के प्रारंभ में मौसम के विघ्र के बावजूद प्रतिदिन ग्रामीण महिलाओं ने बडी संख्या में सतसंग का आनंद लिया। समापन अवसर सैकड़ों लोगों ने व्यासगादी का पूजन कर महाप्रसादी ग्रहण की। सात दिन तक चले सतसंग के कारण नगर  का माहौल धर्ममय बना रहा। कथामृत के दौरान प्रतिदिन श्रीकृष्ण के विभिन्न चरित्रों के मार्मिक वर्णन से श्रोता मंत्रमुग्ध होते रहे। उल्लेखनीय है कि उक्त आयोजन की संपूर्ण व्यवस्थाओं की कमान महिलाओं ने ही संभाल रखी थी। कथा के अंतिम श्रीनागर ने कहा कि आज लोग मोबाईल में इतने व्यस्त है कि उन्हें परमात्मा के लिये समय नही है। जिस परमात्मा ने हमें मानव तन दिया उसके लिये एक घंटा का भी नही है तो हमें डुबकर मर जाना चाहिये। आज धर्म के नाम पर सबसे ज्यादा लूट मची है, धर्म की आड में बेईमानी नही करना चाहिये क्योकिं कोई देखा ना देखे पर परमात्मा सब देख रहा है। रामायण में उल्लेख है कि परमात्मा  को निर्मल मन वाले लोग ही भाते है। स्वयं श्रीराम ने कहा है कि निर्मल मन जन  सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र्र ना भावा। भक्ति स्थाई होना चाहिये दिखावा नही होना चाहिये।