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           *झगड़ा प्रथा के उन्मूलन के लिए बेटी ही नही बेटों को भी हर संभव तरह से जागरूक करें और साक्षर बनाएं - पुलिस अधीक्षक राजगढ़*

            झगड़ा एवं नातरा प्रथा का दंश जिला राजगढ़ ही नहीं बल्कि संपूर्ण मालवा में आसपास के क्षेत्र में कई ग्रामीण परिवार झेल रहे हैं वहीं शासन एवं प्रशासन स्तर पर इस प्रथा के उन्मूलन के लिए अनेको प्रयास किये जा रहे हैं परंतु साक्षरता एवं जागरूकता की कमी के कारण आज भी ग्रामीण अंचलों में निवासरत कई समाज इस प्रथा से अछूते नहीं है। जहां इस कुप्रथा के चलते समाज में रहने वाले ग्रामीण जन प्रभावित है वहीं नाबालिक बच्चों और बच्चियों को भी ना चाहते हुए भी इस प्रथा के दंश को झेलना पड़ रहा है। 
           इस कुप्रथा के उन्मूलन, सुझावों का आदान प्रदान एवं इस विषय पर संवाद हेतु आज दिनांक 07.08.2024 को जिला पंचायत सभागार राजगढ़ में *नातरा एवं झगड़ा कुप्रथा* विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। 
              जिला पुलिस राजगढ़ द्वारा जन साहस एवं युवा विकास मंडल राजगढ़ के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में विशेष अतिथि के रूप में माननीय न्यायाधीश महोदय श्री ए. के. मंसूरी, जिला विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो एक्ट, जिला न्यायालय राजगढ़ एवं श्री अमर सिंह यादव, माननीय विधायक महोदय राजगढ़ उपस्थित रहे। 
                आयोजित कार्यशाला में मुख्य रूप से श्रीमती हिमानी खन्ना पुलिस महानिरीक्षक महिला सुरक्षा शाखा भोपाल, श्री विनीत कपूर, उप पुलिस महानिरीक्षक, सामुदायिक पुलिसिंग, भोपाल, प्रिंसिपल ऑफिसर टू डीजीपी, श्री सुरेश तोमर, संयुक्त संचालक, महिला एवं बाल विकास विभाग, श्री महेश तेजस्वी, सीईओ राजगढ़ एवं कलेक्टर राजगढ़, सुश्री ज्योति रे, स्टेट लीड एंड टेक्निकल कंसलटेंट, UN वोमेन संस्था, श्रीमती मोना सुस्तानी, प्रमुख, लाल चुनर गैंग राजगढ़, श्री आलोक कुमार शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजगढ़, श्री अमृतलाल मीणा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सामुदायिक पुलिसिंग, श्री राजपाल पंवार, डायरेक्टर जन साहस संस्था, नई दिल्ली, श्री मनीष दांगी, प्रबंधक, अहिंसा वेलफेयर सोसाइटी राजगढ़ एवं श्री भानु ठाकुर पत्रकार राजगढ़ सहित जिला पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी गण एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे। 
             आयोजित कार्यशाला में नातरा एवं झगड़ा कुप्रथा के उन्मूलन एवं इस कुप्रथा को समाज में जड़ से खत्म करने के लिए किए गए प्रयासों पर जोर देते हुए जिला पुलिस अधीक्षक श्री आदित्य मिश्रा, द्वारा इस प्रथा के लिए जागरूकता एवं अशिक्षा को मुख्य कारण बताते हुए कहा कि समाज में इस प्रथा को समाप्त करने के लिए हमें निचले स्तर से ही प्रयास करने होंगे जिसमें बालिका या बालक के जन्म से ही, उन्हें शिक्षित करने एवं इस प्रथा की बुराइयों के बारे में अवगत कराने हेतु उनके परिजनों को जागरूक करना होगा। उन्होंने बताया कि इस हेतु पुलिस विभाग द्वारा लगातार प्रयास किया जाकर ऐसे अपराधों को चिन्हित कर इनमें विस्तृत विवेचना एवं माननीय न्यायालय से अपराधियों को सजा दिलाना महत्वपूर्ण कदम है। 
           कार्यशाला के दौरान UN women संस्था से कार्यक्रम में सम्मिलित सुश्री ज्योति रे द्वारा इस कुप्रथा के उन्मूलन के लिए अभी तक जिला स्तर पर किए गए प्रयासों के बारे में विस्तृत चर्चा की जिसमें कई केस स्टडीज के बारे में सुझाव एकत्रित किए गए।  
             कार्यशाला में उपस्थित जनसामान्य में शामिल पीड़ित महिला ने इस प्रथा के बारे में अपनी आप बीती सुनाई जिसमें इसके परिवार द्वारा किस तरह से उसकी शादी बचपन में करने के बाद बालिग होने पर उसके ससुराल पक्ष द्वारा उसे प्रताड़ित किया गया और रिश्ते को बोझ समान होने पर भी उसे बिना मर्जी के ढोने पर मजबूर किया गया, वहीं इस पीड़ा से मुक्त होने के एवज में उसके मायके पक्ष पर झगड़ा की राशि देने का दबाव बनाया गया। इस प्रकार इस कुप्रथा के चलते एक परिवार कैसे संकट की घड़ी में आ गया और इसी प्रकार आने वाली पीढ़ी पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ना निश्चित है। पीड़ित महिला ने बताया कि इस हेतु जिला पुलिस राजगढ़ द्वारा उसकी काफी मदद की गई और महिला को प्रताड़ित करने वाले एवं झगड़ा राशि की मांग करने वाले लोगों के विरुद्ध कार्यवाही की गई। 
             कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रबुद्ध जनों द्वारा इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए अपने सुझाव प्रस्तुत किए।