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यह बात बुधवार को मध्यप्रदेश शासन में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त म.प्र. जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष मोहन नागर ने वन्यप्राणी अभ्यारण्य (चिड़िखोह), नरसिंहगढ़ में अनुभूति शिविर में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि वनों एवं वन्यजीवों का संरक्षण हमारी प्राचीन परम्पराओं का मुख्य आधार है हमारे पूर्वजों ने हज़ारों वर्ष पूर्व ही हमें हमारे प्राचीन ग्रन्थों एवं वेदों के माध्यम से पर्यावरण एवं वृक्षों के संरक्षण के आउटर सीए हैं, उन्होंने रामचरित मानस की विभिन्न चौपाइयों का उदाहरण देते हुए अलग अलग वनस्पतियों एवं उनके मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया।

उन्होंने 84 लाख योनियों का जिक्र करते हुए बताया विभिन्न जीवों का पारिस्तिथिकीय तंत्र में अहम स्थान है यदि इनमें से किसी एक का अस्तित्व भी संकट में आता है तो मनुष्य का अस्तित्व स्वतः खतरे में पड़ जाएगा । उन्होंने त्रिवेणी, हरिशंकरी, पंचवटी, एवं नक्षत्र वाटिका के बारे में बताकर पर्यावरण सुधार में इनका योगदान बताया एवं विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलवाई ।

नरसिंहगढ़ परिक्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए आयोजित दो दिवसीय शिविरों में प्रथम दिन मंगलवार को सी. एम. राइज विद्यालय एवं कन्या उच्चतर मा. विद्यालय, नरसिंहगढ़ के विद्यार्थियों ने भाग लिया । दूसरे दिन 8 जनवरी को बोड़ा, मंडावर, तिन्दोनिया, जमुनिया चौहान के शासकीय विद्यार्थियों ने शिविर में भाग लिया। 

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में अनुभूति कार्यक्रम के मास्टर ट्रैनर भगवती शरण शर्मा द्वारा चिड़ीखोह झील के पास लगाई गई जंगल की पाठशाला में उपस्थित विद्यार्थियों को अनुभूति शिविरों का महत्व एवं उद्देश्य समझाकर पक्षी दर्शन करवा कर किया उन्होंने बताया कि पूरे मध्य प्रदेश में 473 वन परिक्षेत्रों में 946 शिवरों के माध्यम से इस वर्ष 119000 से भी अधिक स्कूली विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा । साथ ही उन्होंने जानकारी दी की चिड़िखोह वन्य प्राणी अभ्यारण्य 57 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ है और पूरे मध्य प्रदेश में इस तरह के 24 वन प्राणी अभयारण्य मौजूद हैं, जो कि 1972 में बनाए गए वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के बाद अस्तित्व में आये हैं । आयोजन की इस वर्ष की थीम "हम हैं बदलाव" की विषय मे बताते हुए विद्यार्थियों से प्रो प्लानेट पीपल एवं मिशन लाइफ के सिद्धांतों को जीवन मे अपनाने की बात कही एवं कहा कि जो बदलाव आप समाज या अपने पर्यावरण में देखना चाहते हैं उसकी शुरुआत हमे स्वयं से ही करना होगी ।

इसके पश्चात सभी विद्यार्थियों को अभ्यारण्य के कोर एरिया से नेचर ट्रेल पर भ्रमण हेतु ले जाया गया । 2.5 किलोमीटर लंबे प्रकृति पथ पर विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रकार के वृक्षों, औषधीय पौधों, ऐतिहासिक महत्व के चिन्ह/शिकारगाह, जलीय संरचनाएं, वन्यजीवों की उपस्थिति के चिन्ह, जिनमें की पग मार्क, स्क्रैप मार्क, खरोच, लोटन, विष्ठा आदि के सम्बन्ध में विस्तार से प्रायोगिक और रोचक जानकारी प्राप्त की एवं अभ्यारण्य में विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों की उपस्थिति को अनुभूत किया ।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में भोजन उपरांत विद्यार्थियों को सांप हमारे मित्र, अभ्यारण में पाए जाने वाले अन्य सरीसृप, पैंगोलिन, पामसिवेट, जंगली सूअर, हिरण और मृग में अंतर, मगरमच्छ और घड़ियाल, प्रवासी पक्षी, संकटापन्न पक्षी गिद्ध, गौरैया सहित अन्य महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी मास्टर ट्रेन भगवती शरण शर्मा द्वारा दी गई।  

वन अमले का परिचय एवं वन विभाग द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न गतिविधियों एवं अलग-अलग विभागों की जानकारी वन परिक्षेत्र अधिकारी गौरव गुप्ता द्वारा विद्यार्थियों को दी गई। इसके पश्चात पूरे दिन में कार्रवाई गयी गतिविधियों पर आधारित त्वरित क्विज प्रतियोगिता का आयोजन तीन अलग अलग चरणों मे कर 9 विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया ।

कार्यक्रम का समापन पर्यावरण रक्षा की शपथ एवं सामूहिक फोटो के साथ हुआ। 

आयोजन में जन अभियान परिषद की जिला समन्वयक प्रवीण पंवार, ब्लॉक समन्वयक खजान सिंह ठाकुर, सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष हेमराज गुर्जर, आनन्द मोहन व्यास, पूर्व जनपद सदस्य लखन भंडारी सहित राजगढ़ वन मंडल के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारियों का विशेष सहयोग रहा ।