यज्ञ में बैठने वाले जोड़ो  को आज शनिवार  प्रातःकाल  के शुभ मुहूर्त में यज्ञाचार्य  इंद्रजीत पाराशर एवं संजय कृष्ण व्यास द्वारा रीति रिवाज से  हेमाद्रि स्नान ( प्रायश्चित्त) स्नान गोमूत्र, दूध, दही, शहद, मिट्टी, गोबर और गंगा जल से  वैदिक  मंत्रो के उच्चारण के साथ स्नान करवाया जायेगा। यजमानो द्वारा  शुक्रवार को मुंडन  संस्कार करवा लिया है। 
यजमान एवं भक्तो द्वारा दोपहर 11 बजे से खेड़ापति हनुमान मन्दिर से माँ के जयकारे लगाते हुए एवं भजन   कीर्तन करते हुए पंचकाशी यात्रा की शुरूआत की जायेगी। यात्रा मार्ग पर जगह जगह समिति द्वारा ठन्डे पेयजल की व्यवस्था की गयी है।  पंचकोशी यात्रामार्ग शाशन ने इस साल बना दिया है। समिति सदस्यों द्वारा यात्रामार्ग के दोनो और फूल एवं फलदार वृक्ष लगाने के साथ  ही, 52शक्तिपीठो की  स्थापना भी प्रस्तावित है। ग्रामाचार्य  स्वर्गीय मनोहर लाल  पाठक द्वारा 30वर्ष पूर्व पहाडी पर पंचकोशी यात्रा की शुरुआत स्थानीय भक्त जन एवं महिलाओ को साथ  लेकर की थी। पंचकोशी यात्रा अनवरत  रुप से चालू रहते हुए अब भव्य स्वरूप में हो गयी है। यात्रा का समापन माँ  बीजासन के   दरबार में दर्शन पश्चात् होगा। 
जल प्रभारी शिव सेठ ने बताया की माँ के दर्शन करने आने वाले भक्तजनो एवं कथा श्रोताओ के लिए बीस स्थानो पर प्याऊ की व्यवस्था की गयी है। प्रत्येक प्याऊ वाले स्थान। पर बीस मटको के माध्यम से  श्रद्धालुओ के लिये पानी की व्यवथा की जायेगी।  यातायात ब्यवस्था सुचारु  रूप से रखने के लिये  वाहन पार्किंग व्यवस्था रहेगी। मन्दिर परिसर एवं पहाडी पर  आकर्शक विद्धुत् साज सज्जा की गयी है। 
यज्ञशाला प्रभारी घनश्याम पटवारी ने बताया की भव्य पांच मंजिला यज्ञशाला का निर्माण बिहार, पश्चिम बंगाल एवं दरभंगा के कुशल कारीगरो ने कर मुख्य कुंड सहित 108कुंडो को यज्ञ भगावान को आहुति देने के लिये बनाया है, क्षेत्रीय गाँव की महिलाओ  ने यज्ञशाला मे लीपाई का कार्य  किया है। माँ के सभी भक्त स्वप्रेरणा से प्रेरित होकर यज्ञ एवं मन्दिर निर्माण के कार्य में लगे हुए है।