17वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन: प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भारत - नई विश्व व्यवस्था का होगा शिल्पकार- डॉ. नयन प्रकाश गांधी

☑️भारत की ब्रिक्स में बढ़ती भूमिका: एक नई दिशा की ओर
☑️प्रधानमंत्री मोदी के विजन से ब्रिक्स और नई विश्व व्यवस्था में भारत का बढ़ता प्रभाव
☑️रियो डी जेनेरियो शिखर सम्मेलन में भारत ने दिखाया दम;
☑️PM मोदी ने आतंकवाद से लेकर AI तक दिया 4-सूत्रीय रोडमैप,
☑️UNSC सुधार पर अडिग. क्या यह है भारत के विश्वगुरु बनने की शुरुआत?
ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में 6 और 7 जुलाई को संपन्न हुआ 17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन सिर्फ देशों की एक वार्षिक बैठक से कहीं बढ़कर था. यह एक ऐसा महत्वपूर्ण पल था जिसने दुनिया के शक्ति संतुलन में आ रहे एक बड़े बदलाव को साफ दिखाया. इस बदलाव में, भारत और उसके दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बहुत ही महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका निभाते हुए सामने आ रहे हैं. यह सम्मेलन इस बात का जीता-जागता सबूत है कि भारत अब सिर्फ एक तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था नहीं है, बल्कि वह एक ऐसी बड़ी ताकत बन चुका है जो वैश्विक चर्चाओं की दिशा और दशा को तय करने की क्षमता रखता है, खासकर 'ग्लोबल साउथ' यानी विकासशील देशों के समूह के लिए.
वैश्विक शासन में आमूलचूल परिवर्तन की भारत की मांग
यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि इस विश्वस्तरीय शिखर सम्मेलन का मुख्य केंद्रबिंदु भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वैश्विक शासन की मौजूदा संरचनाओं में बड़े बदलाव की जोरदार मांग थी. उन्होंने बहुत ही स्पष्ट शब्दों में कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन जैसी संस्थाएं अब 21वीं सदी की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं. इसका मतलब यह था कि ये संस्थाएं अब पुरानी पड़ चुकी हैं और दुनिया के बदलते स्वरूप के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रही हैं.प्रधानमंत्री मोदी की यह मांग केवल सुधार की एक सामान्य अपील नहीं थी, बल्कि यह उस पुरानी और गतिहीन व्यवस्था पर एक सीधा प्रहार था जो वैश्विक निर्णयों को कुछ ही शक्तिशाली देशों तक सीमित रखती है. एक ऐसी बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था, जहाँ शक्ति के कई केंद्र हों, तभी सार्थक और प्रभावी हो सकती है जब इन महत्वपूर्ण संस्थाओं का लोकतंत्रीकरण हो. यानी, इनमें सभी देशों को उचित प्रतिनिधित्व मिले और निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक समावेशी हो. सुरक्षा परिषद में सुधार पर भारत का लगातार और अटल रहना यह साफ दर्शाता है कि अब पुरानी स्थिति को स्वीकार करने का समय खत्म हो चुका है. भारत अब यथास्थिति को बदलने और एक अधिक न्यायसंगत विश्व व्यवस्था बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
🫵 आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का दृढ़ रुख
आतंकवाद के मुद्दे पर, भारत ने यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी के बेहद प्रभावी भाषण के माध्यम से एक बार फिर अपने दृढ़ और सैद्धांतिक रुख को पूरी दुनिया के सामने रखा. उन्होंने हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए नृशंस आतंकी हमले को मानवता पर एक सीधा हमला करार दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी दुनिया से आतंकवाद के समर्थकों, संरक्षकों और वित्तपोषकों (जो आतंकवादियों को पैसे देते हैं) को सबसे कठोर तरीके से जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया.
हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अटूट नेतृत्व क्षमता और वैश्विक प्रभाव का यह साफ उदाहरण है कि ब्रिक्स के सभी सदस्य देशों ने भारत में हुए इस आतंकवादी हमले की एक सुर में कड़ी निंदा की. यह घटना आतंकवाद पर दोहरे मापदंडों (यानी एक जगह निंदा करना और दूसरी जगह समर्थन करना) को अस्वीकार करने और इसे एक साझा वैश्विक खतरे के रूप में स्वीकार करने की दिशा में भारत की एक बहुत ही महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत है. यह दर्शाता है कि भारत की आवाज को वैश्विक मंच पर गंभीरता से सुना और स्वीकार किया जाता है.
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🫵ब्रिक्स को अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए मोदी का चार-सूत्रीय रोडमैप
भविष्य की चुनौतियों और अवसरों को देखते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स समूह को और अधिक प्रासंगिक और प्रभावी बनाने के लिए एक बहुत ही व्यावहारिक चार-सूत्रीय रोडमैप प्रस्तुत किया. ये बिंदु ब्रिक्स को केवल एक चर्चा मंच से आगे बढ़कर वैश्विक समस्याओं के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करते हैं:
1.न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) पर ध्यान: पहला, उन्होंने कहा कि न्यू डेवलपमेंट बैंक को सदस्य देशों की वास्तविक जरूरतों को पूरा करने के लिए मांग-आधारित और टिकाऊ परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा. इसका मतलब है कि बैंक को ऐसी परियोजनाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए जो सिर्फ लाभ के लिए न हों, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल हों और लंबे समय तक विकास सुनिश्चित करें, खासकर 'ग्लोबल साउथ' के देशों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करें.
2.साझा विज्ञान और अनुसंधान भंडार: दूसरा, प्रधानमंत्री मोदी ने एक साझा विज्ञान और अनुसंधान भंडार की स्थापना का प्रस्ताव रखा. इसका उद्देश्य 'ग्लोबल साउथ' के देशों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना है. यह भंडार सदस्य देशों के बीच वैज्ञानिक ज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को साझा करने में मदद करेगा, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें और वैश्विक तकनीकी प्रगति में योगदान दे सकें.
3.महत्वपूर्ण खनिजों की सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला: तीसरा, उन्होंने महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को लचीला और सुरक्षित बनाने पर जोर दिया. ये खनिज भविष्य की अर्थव्यवस्था (जैसे इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा, उच्च तकनीक उद्योग) और ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं. सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला यह सुनिश्चित करेगी कि सदस्य देशों को इन खनिजों तक निर्बाध पहुंच मिले और वे बाहरी दबावों से प्रभावित न हों.
4.आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का जिम्मेदार शासन ढांचा: और चौथा, प्रधानमंत्री मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी परिवर्तनकारी तकनीक के लिए एक जिम्मेदार शासन ढांचा तैयार करने का आह्वान किया. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नवाचार और तकनीकी प्रगति के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की भी रक्षा हो. यह ढांचा AI के विकास और उपयोग को नियंत्रित करेगा ताकि इसके सामाजिक, आर्थिक और नैतिक प्रभावों को सकारात्मक बनाए रखा जा सके और किसी भी संभावित नुकसान को कम किया जा सके.
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🇮🇳भारत - न्यायसंगत विश्व व्यवस्था की आशा का प्रतिबिंब🚩
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यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि रियो डी जेनेरियो में भारत का प्रदर्शन केवल एक देश की कूटनीतिक सफलता का एक अध्याय नहीं है, बल्कि यह उस न्यायसंगत और समतामूलक विश्व व्यवस्था की आशा का प्रतिबिंब है जिसकी आकांक्षा दुनिया के करोड़ों लोग कर रहे हैं. भारत ने यह स्पष्ट रूप से सिद्ध कर दिया है कि वह केवल अपनी बातें रखने वाला देश नहीं है, बल्कि वह वैश्विक चुनौतियों के लिए समाधान प्रस्तुत करने वाला एक अग्रणी राष्ट्र है. शिखर सम्मेलन के अंत में अपनाई गई 'रियो डी जेनेरियो घोषणा' इसी सामूहिक संकल्प और एक नई दिशा की ओर बढ़ते कदमों का आधिकारिक दस्तावेज है, जिसे आकार देने में भारत ने अपनी केंद्रीय और निर्णायक भूमिका निभाई है. यह घोषणापत्र ब्रिक्स देशों की साझा प्रतिबद्धता और एक अधिक संतुलित और समावेशी विश्व व्यवस्था के निर्माण की उनकी आकांक्षा को दर्शाता है, जिसमें भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार है.
(लेखक डॉ. नयन प्रकाश गांधी बकानी झालावाड़ मूल के कोटा शिक्षा नगरी राजस्थान के अंतराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान मुंबई के एलुमनाई रहे है एवं भारत के प्रतिष्ठित युवा प्रबंधन विश्लेषक, लेखक ,स्तंभकार,सामाजिक विचारक,पब्लिक पॉलिसी ,कम्युनिटी डेवलेपमेंट एक्सपर्ट है ।यह उनके अपने विचार है )
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