सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बोड़ा में प्रसूताओं को नहीं मिल रहा पोषण आहार, ठेकेदार की मनमानी से महिलाएं परेशान* — कई दिनों से बंद है चाय, नाश्ता और भोजन वितरण, परिजनों ने जताई नाराजगी जननी सुरक्षा योजना: महिलाओं को नहीं मिल पा रही योजनाओं की सुविधाएं। (रिपोर्टर: ओमप्रकाश राठौर, बोड़ा)

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बोड़ा:- मध्य प्रदेश शासन ने जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रसव के बाद स्वास्थ्य केन्द्र पर भोजन देने की योजना बनाई गई है। राजगढ़ जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बोड़ा में पिछेल अप्रैल, मई जून,2025 महीने भर से प्रसूता महिला को मिलने वाला भोजन नहीं मिल रहा है, और डिलीवरी कराने आए महिलाओं को भूखा रहना पड़ रहा है या घर से भोजन की व्यवस्था करानी पड़ रही है। *नियमतः डिलीवरी कराने आई महिलाओं को अंडा और दूध तो छोड़िए दाल-रोटी भी नसीब नहीं हो रहा।*
जिसमें उन्हें नाश्ता और दो समय का खाना और पौष्टिक आहार जैसे दूध, काजू, किशमिश के लड्डू, रोटी, हरि सब्जी और अन्य पौष्टिक आहार दिया जाना होता है। जिसमें 100 रुपये के लगभग से अधिक की राशि शासकीय योजना के तहत शासन प्रदान करती है, जो कि कुल 100 रुपये से अधिक का बजट एक प्रसूता महिला के लिए शासन द्वारा दिया जाता है। बजट होने के बावजूद उन्हें खाना क्यों नहीं दिया जा रहा यह समझ से परे है। बताना लाजमी होगा कि उक्त सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र बोड़ा में महीने भर में करीबन 30 से 40 महिलाओं का डिलीवरी होता है। जननी शिशु सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिला प्रसव से पूर्व या प्रसव के बाद अस्पताल में भर्ती होती है तो उसे पोषणयुक्त दोपहर व रात्रि भोजन और सुबह का नाश्ता निःशल्क देने का प्रावधान है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बोड़ा में भर्ती प्रसूति महिलाओं को कई दिनों से शासन द्वारा निर्धारित पोषण आहार नहीं मिल रहा है। मरीजों के अटेंडरों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में चाय, नाश्ता और भोजन जैसी बुनियादी सुविधाएं ठेकेदार की लापरवाही के कारण बंद हैं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
गुरुवार तड़के करीब 1 बजे एक प्रसूता के परिजन ने जानकारी देते हुए बताया कि उसकी बेटी की डिलीवरी यहां हुई, लेकिन तीन दिन तक अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद उसे कोई पोषण आहार नहीं दिया गया।
*पीड़ितों की आपबीती:*
*केस नं. 01* – मोना राजपूत (प्रसूता):
> "हमें अस्पताल में कोई भोजन नहीं मिला। घर से चाय, नाश्ता और खाना मंगवाकर ही खा रहे हैं।"
*केस नं. 02*– रानी, आंखखेड़ी:
> "अब तक कुछ भी नहीं दिया गया। शासन तो व्यवस्था करता है, लेकिन ठेकेदार की मनमानी से कुछ भी नहीं मिल रहा।"
*केस नं. 03*– बीरम पिपलिया की महिला अटेंडर:
> "तीन दिन से यहां हैं, लेकिन अस्पताल की ओर से किसी भी प्रकार का भोजन या चाय नहीं दी गई।"
*प्रशासनिक पक्ष:*
इस पूरे मामले पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बोड़ा के मेडिकल ऑफिसर डॉ. वीरेंद्र प्रताप सिंह मंडलोई का कहना है:
> "ठेकेदार द्वारा पिछले कुछ दिनों से प्रसूति महिलाओं को भोजन और चाय नहीं दी जा रही है। इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी भेजी जा चुकी है।"
*प्रश्न खड़े करती व्यवस्थाएं:*
राज्य शासन द्वारा शासकीय अस्पतालों में भर्ती प्रसूताओं को पोषण आहार योजना के तहत नियमित रूप से चाय, नाश्ता व भोजन उपलब्ध कराना अनिवार्य है। इसके लिए अस्पताल में ठेकेदार नियुक्त होते हैं। लेकिन बोड़ा स्वास्थ्य केंद्र में ठेकेदार की कथित अनदेखी से योजनाओं की खुलकर अवहेलना हो रही है।
*ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की मांग:*
संबंधित ठेकेदार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो
प्रसूताओं को तत्काल पोषण आहार उपलब्ध कराया जाए
अस्पताल प्रबंधन की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए
यदि जल्द ही व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया, तो यह लापरवाही किसी बड़ी स्वास्थ्य समस्या को जन्म दे सकती है।