संडावता राहुल गौड़। सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता लाने एवं विकास कार्यों की निगरानी हेतु "पंचायत दर्पण पोर्टल" की शुरुआत की गई थी। इस पोर्टल पर पंचायतों को अपने समस्त व्यय विवरण, बिल-वाउचर एवं कार्य की प्रगति की जानकारी समय पर अपलोड करना अनिवार्य किया गया है। लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत नजर आ रही है। ग्राम पंचायतों के कई कर्मियों द्वारा पोर्टल पर जो दस्तावेज अपलोड किए जा रहे हैं, वे जानबूझकर या लापरवाहीवश इतने ब्लर (धुंधले) होते हैं कि उन्हें पढ़ पाना संभव नहीं होता। इससे पोर्टल पर डाले गए कार्यों की वैधता जांचना मुश्किल हो जाता है। कामकाज के बिल, वाउचर और अन्य दस्तावेज अस्पष्ट होने से न सिर्फ पारदर्शिता प्रभावित हो रही है, बल्कि वित्तीय अनियमितताओं की आशंका भी बढ़ गई है। सूत्रों के अनुसार, कई पंचायत सचिव एवं सहायक लेखापाल डिजिटल जानकारी अपलोड करते समय दस्तावेजों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देते। कभी दस्तावेजों को स्कैन करने की बजाय मोबाइल से फोटो खींच कर अपलोड कर दिया जाता है, तो कभी जानबूझकर अपठनीय स्थिति में डाला जाता है जिससे बाहरी निगरानी एजेंसियां या आम नागरिक जानकारी की पुष्टि न कर सकें। जानकारों का कहना है कि यदि यह स्थिति बनी रही तो पंचायत स्तर पर पारदर्शिता का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा। शासन को चाहिए कि वह अपलोड किए जा रहे दस्तावेजों की गुणवत्ता की नियमित समीक्षा करे और दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करे। पंचायत दर्पण जैसा पोर्टल तभी सफल हो सकता है जब इसका उपयोग ईमानदारी और गंभीरता से किया जाए।