मकर सक्रांति पर्व संस्कार मिलन की क्रांति है-बिके दीपिका*

राजगढ
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प्रजापिता ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय शिव वरदान भवन में मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया ।जिसमें परिवार परामर्श केंद्र के काउंसलर आरसी शर्मा, समाजसेवी पीएस सिसोदिया ,रिटायर्ड बैंक मैनेजर शिव कुमार नामदेव,गिरीराज गुप्ता, जीतमल भिलाला एवं ब्रह्माकुमारी सुरेखा दीदी व बीके सुमित्रा दीदी द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर पर्व की शुभकामनाये दी।
आगे बिके दीपिका बहन ने मकर संक्रांति का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि इस दिन सूर्य एक राशि से दूसरी राशि मेँ जाता है। इसलिए इसे संक्रमण काल कहा जाता है, अर्थात एक दशा से दूसरी दशा मेँ जाने का समय। यह संक्रमण काल उस महान संक्रमण काल का यादगार है जो कलियुग के अंत सतयुग के आरंभ मेँ घटता है। इस संक्रमण काल मेँ ज्ञान सूर्य परमात्मा भी राशि बदलते हैं। वे परमधाम छोड़ कर साकार वतन मेँ अवतरित होते हैं। संसार में आज तक अनेक क्रांतियाँ हुई, कभी सशस्त्र क्रांति, कभी हरित क्रांति, कभी श्वेत क्रांति आदि आदि। हर क्रांति के पीछे उद्देश्य – परिवर्तन रहा है। संक्रांति का त्योहार संगमयुग पर कलयुगी संस्कार को बदल स्वर्णिम संसार बनाने की महान क्रांति का यादगार है । इस क्रांति के बाद सृष्टि पर कोई क्रांति नहीं हुई। अभी कलियुग का अंतिम समय चल रहा है, सारी मानवता दुखी-अशांत हैं, हर कोई परिवर्तन के इंतजार मेँ हैं। ऐसे समय मेँ विश्व सृष्टिकर्ता परमात्मा शिव कलियुग व सतयुग के संधिकाल पर ब्रह्मा के तन मे अवतरित होते हैं।
जिस प्रकार भक्ति में पुरुषोत्तम मास में दान-पुण्य आदि का महत्व होता है, उसी प्रकार पुरुषोत्तम संगमयुग, जिसमें ज्ञान स्नान करके बुराइयों का दान करने से, पुण्य का खाता जमा करने वाली हर आत्मा उत्तम पुरुष बन सकती है। इस दिन खिचड़ी और तिल का दान करते हैं, इसका भाव यह है कि मनुष्य के संस्कारों मेँ आसुरियता की मिलावट हो चुकी है, जिन्हें परिवर्तन कर तिल समान अपनी सूक्ष्म से सूक्ष्म बुराइयों को भी त्याग अब दिव्य संस्कार धारण करने है।
इस अवसर पर संस्था से जुड़े भाई बहने उपस्थित रहे।
तदुपरांत सभी ने उमंग-उत्साह से पतंग उड़ाई, रास किया वह अंत में दीदीयों द्वारा सभी का मुंह मीठा कराया गया।