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सरकारी स्कूल का नाम सामने आने पर एक बारगी बिगड़े हालात और दुर्दशा के शिकार स्कूलों की तस्वीर ही जहन में उभरती है, लेकिन पिछले एक साल में एक संस्था प्राचार्य बी एस परमार ने अपनी शिक्षकों की टीम के साथ मेहनत के बल पर शिक्षण व्यवस्था में अपने ‘स्टूडेंट टाइम टेबल एट होम‘ जैसे नवाचारों के जरिए शत-प्रतिशत परिणाम देने के साथ स्कूल में पर्यावरण संरक्षण एवं भौतिक कार्यों के साथ विकास की एक अनूठी सामाजिक मिसाल पेश की है।
सही मायनों में बात करें खानपुरा हाई स्कूल के प्राचार्य बी एस परमार ने खाली समय का सदुपयोग कर स्कूल में पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मिसाल पेश की है। 

पूरे परिसर में बनाई मां की बगिया, अब फल-फूल और पौधों से महकेगी बगिया
प्राचार्य बी एस परमार के साथ शिक्षकों की मेहनत से स्कूल में विकसित किया जा रही मां की बगिया, इसमें फल, फूल, छाया एवं औषधीय पौधे लगाए गए हैं। जिसमें नीम, पीपल, जामुन, एरिस्टोनिया, पारस पीपल, शहतूत, बंगाली कदम, बरगद, सहजन, गुलमौहर, बेलपत्र, गुडहल, मोरपंखी, आंवला, मीठा नीम, चमेली, चम्पा, देशी कदंब, इमली, अमरूद, गूलर, नींबू, पपीता, केल,गन्ने, के साथ साथ हरी हरी सब्जियां में मेथी,धनिया,गोभी,पालक,चना की फसल, लोकी, गिलकी,अन्य कई तरह की हरी हरी सब्जियां और फल और फूल दार पोधे लगाए गए हैं,जिसमे फिलहाल कुछ सब्जियां और फल आने लग गए हैं,साथ ही कई तरह के ओषधि पौधे के साथ साथ फूल वाले पौधे भी लगाया गया हैं,इधर स्कूल परिसर में शिक्षको द्वारा जैविक खाद्य भी बनाया जा रहा हैं,और अब क्षेत्र के किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करेंगे। विद्यार्थी किसानों को जैविक खाद बनाना भी सिख रहे हैं। विद्यार्थियों ने भी जैविक खेती के लिए प्रेरित करने के लिए स्कूल में जैविक खाद का निर्माण किया है। पर्यावरण संरक्षण के तहत जमीन की उर्वरक शक्ति को बनाए रखने के लिए जैविक खाद का निर्माण किया है। चार महीने पहले विद्यार्थियों ने जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी। और अब जैविक खाद्य भी बनकर तैयार हैं जिसका उपयोग परिसर में लगाई गई मां की बगिया में फल दार और हरी हरी सब्जियां में डालने का उपयोग कर रहे हैं,