राजगढ़                                                      

शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय के केमिकल अभियांत्रिकी विभाग द्वारा शनिवार को “ *IPR INSIGHT: PROTECTING Ideas in the Digital Age”* विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी मध्य प्रदेश शासन के अंतर्गत म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, भोपाल (MPCST) द्वारा प्रायोजित एवं प्रोत्साहित की गई थी।

कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के आशीर्वाद एवं दीप प्रज्वलन के साथ की गई। कार्यक्रम का संचालन सुश्री हिमानी नामदेव द्वारा किया गया।

महाविद्यालय के प्राचार्य श्री राजू जैतवार ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए महाविद्यालय की उपलब्धियों की संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने मुख्य अतिथि अपर कलेक्टर श्री शिव प्रसाद मंडराह  एवं विशिष्ट अतिथि शासकीय पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ विपिन खरे का स्वागत किया। साथ ही वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एन. के. चौबे (MPCST),  डॉ एस सुरेश (HOD Chemical Engineering MANIT Bhopal), डॉ आर एस कुशवाह (Founder,Digiworld) एवं स्टार्टअप इंडिया मेंटर डॉ. अजय चौबे का भी अभिनंदन किया।

संगोष्ठी की संयोजिका डॉ. अनुराधा देवी ने संगोष्ठी के उद्देश्य एवं महत्त्व पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि डॉ. विपिन खरे ने आईपीआर  का संक्षिप्त परिचय देते हुए इसके महत्व को बताया और विद्यार्थियों को अपने विचारों की सुरक्षा हेतु प्रेरित किया। इस दौरान अपर कलेक्टर श्री मंडराह ने विचारों की पहचान और उनके संरक्षण की आवश्यकता पर अपने प्रेरणादायक विचार साझा किए। विभागाध्यक्ष, केमिकल अभियांत्रिकी श्री आकाश अग्रवाल   ने आभार प्रदर्शन किया।

हाई-टी के बाद तकनीकी सत्र प्रारंभ हुआ: पहले सत्र में, डॉ. एन. के. चौबे ने अत्यंत सरल शब्दों में IPR की परिभाषा, प्रकार, आवेदन प्रक्रिया, योग्यता, शुल्क और वैधता की जानकारी दी। उन्होंने कोका-कोला, दुनिया के सबसे कम उम्र के पेटेंट धारक, पेपर पिन जैसे कई उदाहरण दिए। इसके बाद, डॉ. ए. के. चौबे ने व्यवसाय और उद्यमिता में IPR के महत्व को रेखांकित किया। सत्र का समापन श्रीमती नेहा पांडे द्वारा किया गया।

 दूसरे सत्र में डॉ. आर. एस. कुशवाहा ने डिजिटल मार्केटिंग में IPR की भूमिका और अवसरों पर चर्चा की। डॉ. एस. सुरेश ने शैक्षणिक अनुसंधान में बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) के महत्व पर प्रकाश डाला और स्नातक स्तर के विद्यार्थियों द्वारा पेटेंट कराए गए। साथ ही जैविक कोटिंग तकनीक का उदाहरण भी साझा किया, जो फलों को बैक्टीरिया जनित खराबी से बचाने में सहायक है। यह उदाहरण इस बात को दर्शाता है कि विद्यार्थी स्तर पर भी नवाचार समाज के लिए उपयोगी और पेटेंट योग्य समाधान प्रदान कर सकता है। इस सत्र का भी समापन श्रीमती नेहा पांडे द्वारा किया गया।इसके बाद विद्यार्थियों द्वारा मौखिक प्रस्तुतियाँ दी गईं।

समापन समारोह में पुरस्कार एवं प्रमाण पत्रों का वितरण किया गया। जिसमें डॉ. अनुराधा देवी ने आभार प्रदर्शन करते हुए धन्यवाद दिया। मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि और सभी वक्ताओं को, प्रमुख वैज्ञानिक, IPR सेल, MPCST डॉ. विकास शिंदे, प्राचार्य, रसायन अभियांत्रिकी विभागाध्यक्ष, सह-संयोजक श्री मुकेश द्विवेदी, आयोजन समन्वयक श्रीमती नेहा पांडे, श्री अभिषेक रानीवाल, श्री रजत कुलश्रेष्ठ सह-संयोजकगण श्री महेश, श्री राहुल मेवाड़ा, सुश्री हिमानी नामदेव, सुश्री स्वाति पवार, श्री पोहाप सिंह कुशवाह, श्री सोनू गुप्ता श्री राजेश कुमार अहीरवार एवं श्री जगदेव पंवार , समस्त गैरशैक्षणिक स्टाफ,  उन्होंने सभी वॉलंटियर और प्रतिभागियों को भी धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गान के साथ हुआ।

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