ब्रह्माकुमारीज़ की प्रथम मुख्य प्रशासिका की 60 वीं पुण्य तिथि पर श्रद्घाजंलि दी गई... - मातेश्वरी जी का जीवन हम सबके लिए आदर्श और प्रेरणादायी था...ब्रह्माकुमारी मधु दीदी

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राजगढ़।प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारी ओम राधे की 60 वीं पुण्य तिथि श्रद्घापूर्वक मनाई गई। सादे समारोह में ब्रह्माकुमारी ओम राधे के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्घासुमन अर्पित किए। इस दौरान कृषि उपसंचालक हरीश मालवीय, समाजसेवी प्रताप सिंह सिसोदिया,राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी सुरेखा दीदी, ब्रह्माकुमारी सुमित्रा दीदी, एवं दीपिका दीदी सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्घजन उपस्थित थे।
ब्रह्माकुमारी मधु दीदी ने बतलाया कि ब्रह्माकुमारी ओम राधे को सभी ब्रह्मावत्स मातेश्वरी या मम्मा कहकर बुलाते थे। उन्होंने हमारे जीवन को ऊंचा उठाने के लिए श्रेष्ठ धारणाएं बतलाईं। उनके जीवन में सच्चाई और सफाई का विशेष गुण था। उनका कहना था कि जीवन की हर घड़ी को अन्तिम घड़ी समझकर चलो। इससे अपने कर्मों पर अटेन्शन बना रहेगा।
उन्होंने हम सभी को ईश्वरीय मर्यादाएं और नियम बतलाए आज भी उनकी सूक्ष्म प्रेरणा हम सभी को मिलती रहती है। उनके सामने कैसी भी परिस्थति आई लेकिन वह कभी विचलित नहीं हुईं। उन्होंने कठिन योग-साधना से स्वयं को इतना शक्तिशाली बना लिया था कि कैसा भी क्रोधी व्यक्ति उनके सामने आता था तो वह उनके आभामण्डल के प्रभाव से सम्मुख आकर शांत हो जाता था।
उल्लेखनीय है कि मातेश्वरी जी का लौकिक जन्म वर्ष 1919 में अमृतसर में हुआ था। उनके बचपन का नाम राधे था। जब वह ओम की ध्वनि का उच्चारण करती थीं तो पूरे वातावरण में गहन शांति छा जाती थी। इसलिए वह ओम राधे के नाम से लोकप्रिय हुईं। वह बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और प्रतिभावान थीं। ब्रह्मा बाबा ने कोई भी बात आपको कभी दोबारा नहीं समझायी। आप एक बार जो बात सुन लेती थीं उसी समय उसे अपने कर्म में शामिल कर लेती थीं। 24 जून 1965 को आपने अपने नश्वर देह का त्याग करके संपूर्णता को प्राप्त किया था।
इस अवसर पर कृषि उपसंचालक हरीश मालवीय जी का भोपाल ट्रांसफर होने पर शॉल श्रीपाल एवं ईश्वरी सम्मान देकर विदाई दी गई। अंत में सभी को ब्रह्मा भोजन कराया ।