स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25: सूरत-नवी मुंबई ने दी टक्कर, इंदौर फिर अव्वल– देखिए कहा है कोटा शहर* ...... स्वच्छता के लिए अहम रिड्यूस, रियूस और रिसायकल और अब रिप्रोड्यूस की प्रक्रिया तक भी बढ़ रहा इंदौर शहर ,अधिकतर शहर इस प्रक्रिया तक नगण्य .......... स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25: इंदौर ने आठवीं बार मारी बाजी, फिर बना देश का सबसे साफ शहर, दूसरे नंबर पर है सूरत

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☑️जीरो लैंड फ्री सिटी,वेस्ट टू वेल्थ' की ओर बढ़ता इंदौर शहर
☑️ ट्रीटेड वाटर बेचने की गई इंदौर में शुरुआत
☑️एशिया का सबसे बड़ा बायो सीएनजी प्लांट देश में सिर्फ इंदौर के पास
इंदौर ने फिर लहराया है परचम
वहीं, इंदौर ने एक बार फिर देश में स्वच्छता का परचम लहराया है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के नतीजे आज दिल्ली में घोषित किए गए हैं। इंदौर पिछले 7 सालों से लगातार सबसे स्वच्छ शहर चुना जा रहा है। आठवीं बार वह नंबर वन बना है। इंदौर नगर निगम और वहां के सफाईकर्मियों ने इसके लिए काफी मेहनत की है। साथ ही आमलोगों में भी स्वच्छता को लेकर जागरूकता पैदा की है।
सुपर स्वच्छ लीग में भी नंबर वन इंदौर
इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में सुपर स्वच्छ लीग रखा गया था। इसमें इंदौर नंबर वन बना है। दूसरे नंबर पर सूरत है और तीसरे नंबर नवी मुंबई है। विजयवाड़ा चौथे नंबर पर है। इस बार के सर्वेक्षण में इंदौर के साथ सूरत और नवी मुंबई को भी टॉप थ्री में जगह मिली है। वहीं 3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों की कैटेगरी में नोएडा पहले नंबर पर रहा, जबकि चंडीगढ़ दूसरे और मैसूर तीसरे स्थान पर रहे।
राष्ट्रपति द्वारा पुनः इंदौर सम्मानित हुआ है।
2017 से इंदौर पहले नंबर पर आ रहा
स्वच्छ सर्वेक्षण में वर्ष 2017 से इंदौर पहले नंबर पर आ रहा है। इंदौर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि दूसरे शहर जब कुछ करने का सोचते हैं, तब तक इंदौर वह काम कर चुका होता है। यह बात स्वच्छता को लेकर भी सही साबित हुई है। इंदौर के जनभागीदारी मॉडल की देशभर में तारीफ होती है। नवाचारों की सीरीज, आपसी समन्वय और कुछ नया करने का जज्बा हमें दूसरे शहरों से आगे रखता है। आज जब दूसरे शहर पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के लिए जिद्दोजहद में लगे हैं। इंदौर लगातार सात वर्ष अव्वल रहकर खास पायदान पर पहुंच चुका है।
राष्ट्रपति ने दिए स्वच्छता पुरस्कार
स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 के पुरस्कार नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में वितरित किए गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विजेता शहरों को सम्मानित किया। इस मौके पर केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल और राज्य मंत्री तोखन साहू भी मौजूद थे। यह आयोजन शहरी क्षेत्रों में सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देने वाली सरकार की महत्वाकांक्षी योजना, स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) के तहत हुआ।
अब ‘सुपर स्वच्छ लीग’ में शामिल हुए 23 शहर
सरकार ने इस बार एक नई लीग – ‘सुपर स्वच्छ लीग’ – लॉन्च की है, जिसमें टॉप 23 शहरों को शामिल किया गया है। इन शहरों में इंदौर, सूरत, नवी मुंबई के साथ-साथ अहमदाबाद, भोपाल और लखनऊ जैसे शहर शामिल हैं। इन शहरों ने न केवल सफाई के मामले में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है बल्कि नागरिक भागीदारी और कचरा प्रबंधन में भी नई मिसाल कायम की है।
प्रयागराज को मिला बेस्ट गंगा टाउन का खिताब
इस बार प्रयागराज को ‘सर्वश्रेष्ठ गंगा टाउन’ घोषित किया गया। वहीं सिकंदराबाद छावनी बोर्ड को देश का सबसे स्वच्छ छावनी क्षेत्र चुना गया। इसके अलावा विशाखापत्तनम (GVMC), जबलपुर और गोरखपुर को सैफाईमित्र सुरक्षित शहर का खिताब दिया गया – यह उन शहरों को मिलता है जो सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा और गरिमा को प्राथमिकता देते हैं।
राष्ट्रपति ने की ‘रिड्यूस-रियूज़-रिसायकल’ मॉडल की तारीफ
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण में ‘वेस्ट टू वेल्थ’ यानी कचरे से संपत्ति बनाने की सोच की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह मॉडल युवाओं को रोजगार और महिला स्व-सहायता समूहों को अवसर देने का माध्यम बन रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि स्वच्छता अब केवल आदत नहीं, बल्कि संस्कार बन चुका है
10 लाख से ज्यादा आबादी कैटेगरी में इंदौर देश में नंबर वन स्वच्छता सर्वेक्षण-2024 में इंदौर एक बार फिर देशभर में स्वच्छता के क्षेत्र में सबसे आगे रहा। सुपर स्वच्छ लीग सिटी में इंदौर को देशभर में पहला स्थान मिला है। यह अवॉर्ड 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की कैटेगरी में दिया गया।मध्य प्रदेश का इंदौर लगातार सात बार देश के सबसे स्वच्छ शहर बनने का खिताब हासिल कर चुका है। इस बार इंदौर को स्वच्छता सर्वेक्षण 2024—25 की सुपर लीग में शामिल किया गया है। सुपर लीग में सिर्फ उन्हीं 23 शहरों को शामिल किया गया है, जो अब तक हुए सर्वेक्षणों में पहले, दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे हैं। इंदौर ने सुपर लीग 2024—25 में भी बाजी मार ली है। इंदौर देश के सुपर साफ शहरों में पहले पायदान पर आया है, जबकि दूसरे स्थान पर गुजरात का सूरत, तीसरे स्थान नवी मुंबई रहा है। यह लगातार आठवीं बार है, जब इंदौर को देश का सबसे स्वच्छ शहर चुना गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंदौर को सम्मानित किया.आज इंदौर देश में स्वछता का संदेश देने वाला गुरु बन गया है.क्योंकि इंदौर ने स्वच्छता में कई नवाचार भी किए है जो देश किसी भी शहर में नहीं हुए हैं।इंदौर जीरो वेस्ट वार्ड, सेल्फ सस्टेनेबल जोन जैसे नए इनिशिएटिव्स पर काम रहा है। जनता को और ज्यादा जागरूक किया जा रहा है कि वे अलग अलग कचरा सही समय पर दें, ताकि कचरे की प्रोसेसिंग प्रभावी ढंग से हो सके। अब शहर में आन डिमाड कचरा कलेक्शन की भी शुरुआत हो चुकी है।
डूंगरपुर में नगर परिषद बोर्ड और परिषद् अधिकारियों-कार्मिकों के बीच तालमेल के अभाव के बावजूद स्वच्छता सर्वेक्षण में डूंगरपुर पांचवीं बार अव्वल आया है। केंद्रीय आवासन व शहरी मंत्रालय द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 के परिणाम घोषित किए। डूंगरपुर शहर सुपर स्वच्छ लीग सिटी पुरस्कार पाने में कामयाब रहा है।डूंगरपुर शहर को 50 हजार की जनसंख्या की श्रेणी में डूंगरपुर को प्रदेश में सुपर स्वच्छ लीग सिटी पुरस्कार के लिए नामित किया है।
स्वच्छता में क्यों पिछड़ रहा है स्मार्ट शहर कोटा?
कोटा, जिसे शिक्षा नगरी और अब एक स्मार्ट शहर के रूप में जाना जाता है, दुर्भाग्य से स्वच्छता के मामले में अक्सर पीछे छूट जाता है। यह एक ऐसा विरोधाभास है जिस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। एक ओर जहां शहर को आधुनिक बनाने और सुविधाओं से लैस करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गंदगी, कचरे के ढेर और बदहाल सार्वजनिक शौचालय इसकी छवि धूमिल कर रहे हैं। आखिर क्या कारण हैं कि कोटा स्वच्छता के पैमाने पर लगातार पिछड़ रहा है?
जनभागीदारी का अभाव
स्वच्छता केवल सरकारी या नगर निगम की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक का कर्तव्य है। कोटा में जनभागीदारी का स्पष्ट अभाव दिखाई देता है। लोग अक्सर अपने घरों के सामने तो सफाई रखते हैं, लेकिन गली, मोहल्ले या सार्वजनिक स्थानों पर कचरा फेंकने से गुरेज नहीं करते। जागरूकता की कमी और "यह मेरा काम नहीं" वाली मानसिकता स्वच्छता अभियान के लिए सबसे बड़ी बाधा है।
अपर्याप्त कचरा प्रबंधन
शहर में कचरा प्रबंधन प्रणाली अभी भी उतनी सुदृढ़ नहीं है जितनी होनी चाहिए। डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण की व्यवस्था होने के बावजूद, कई इलाकों में नियमित रूप से कचरा नहीं उठाया जाता। इसके अलावा, कचरा निस्तारण की उचित व्यवस्था का अभाव भी एक बड़ी समस्या है। कचरे के ढेर सार्वजनिक स्थानों पर महीनों पड़े रहते हैं, जिससे न केवल दुर्गंध फैलती है बल्कि बीमारियां भी पनपती हैं।
खुले में शौच और पेशाब की समस्या
स्मार्ट सिटी होने के बावजूद, कोटा के कई हिस्सों में आज भी खुले में शौच और पेशाब एक बड़ी चुनौती है। पर्याप्त और स्वच्छ सार्वजनिक शौचालयों की कमी और जो उपलब्ध हैं उनकी बदहाली इस समस्या को और बढ़ा देती है। पुरुष हो या महिलाएं, उन्हें मजबूरी में खुले में शौच या पेशाब करना पड़ता है, जिससे गंदगी और बदबू का माहौल बना रहता है।
अतिक्रमण और अवैध कब्जे
शहर में अतिक्रमण और अवैध कब्जे भी स्वच्छता में बाधक हैं। सड़कों और फुटपाथों पर दुकानदारों द्वारा फैलाया गया सामान और निर्माण सामग्री गंदगी को बढ़ावा देती है। यह न केवल यातायात को बाधित करता है बल्कि सफाई कर्मचारियों के लिए भी अपना काम करना मुश्किल बना देता है।
जागरूकता और दंड का अभाव
नगर निगम द्वारा समय-समय पर स्वच्छता अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन जागरूकता अभियान उतने प्रभावी नहीं होते जितने होने चाहिए। साथ ही, गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई या दंड का अभाव भी लोगों को लापरवाह बनाता है। जब तक नियमों का पालन नहीं कराया जाएगा और उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना नहीं लगाया जाएगा, तब तक स्थिति में सुधार मुश्किल है।
समाधान की दिशा में कदम
कोटा को वास्तव में स्मार्ट और स्वच्छ शहर बनाने के लिए इन समस्याओं का समाधान जरूरी है। इसके लिए:
जनभागीदारी बढ़ाना: लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना और उन्हें इस अभियान का हिस्सा बनाना।
ठोस कचरा प्रबंधन: कचरा संग्रहण, पृथक्करण और निस्तारण की एकीकृत और प्रभावी प्रणाली विकसित करना।
स्वच्छ शौचालयों का निर्माण: पर्याप्त संख्या में आधुनिक और स्वच्छ सार्वजनिक शौचालय बनाना और उनका उचित रखरखाव करना।
अतिक्रमण पर लगाम: अतिक्रमण हटाना और भविष्य में ऐसे प्रयासों को रोकना।
कठोर नियम और दंड: गंदगी फैलाने वालों पर सख्ती से जुर्माना लगाना और नियमों का पालन सुनिश्चित करना।
जब तक हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेगा और प्रशासन अपनी भूमिका को प्रभावी ढंग से नहीं निभाएगा, तब तक कोटा का स्मार्ट सिटी का सपना अधूरा ही रहेगा। स्वच्छता केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है, और इसे प्राथमिकता देना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
✍️लेखक परिचय
डॉ नयन प्रकाश गांधी सोशल जर्नलिस्ट है
, भारत के प्रख्यात युवा मैनेजमेंट विश्लेषक ,डेवलपमेंट प्रैक्टिशनर है, समसामयिक सामाजिक मुद्दों पर लगातार सक्रिय रहते है ।ये उनके अपने विचार है ।