संडावता। नगर की आस्था के केंद्र श्रीनृसिंह मंदिर में महिलाओं द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत गीता कथामृत  के चौथे दिन शुक्रवार को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। व्यासगादी पर विराजित पंडित मनोज नागर संडावता ने धर्म में आधुनिकता एवं दिखावे  पर शाब्दिक प्रहार करते हुये कहा कि मंदिर में जाने से, पूजा पाठ में दिखावा करने से, तिलक लगाने से, शिखा रखने से बैंकुठधाम नही मिलता। जो कथा सुनता है, जो आत्मा से भजन करता है, जो सतसंग में जाता है उसे बैकुंठ में जाने की जरूरत ही नही होती है। उन्होनें कहा कि पूजा करो, जल चढ़ावों लेकिन मंदिर की पवित्रता का ध्यान जरूर रखो, मर्यादित आचरण करो। 
          नदियों में पैसा डाले जाने की परंपरा के मूल में विज्ञान  
प्रसंग के दौरान श्रीनागर ने कहा कि भारतीय परंपराओं, सनातन धर्म में आस्था के साथ विज्ञान का भी समावेश है। रास्ते में जाते समय नदियों में पैसा डाले जाने की परंपरा आज भी कायम है। पुराने लोग इसका पालन करते है। इसका धर्म से भलेहि संबंध नही है पर धर्म के सहारे यह हमें विज्ञान से जोडता है। पहले ताबे के सिक्के चलते थे वही नदी में डाले जाते थे। तांबा पानी को शुद्ध करता है। इसके पीछे मूल में विज्ञान की यही धारणा है। आज भी डाक्टर, वैध तांबे के लोटे में रखा पानी पीने की सलाह देते है। ताबे के पात्र में रखा पानी पीना चाहिये इसमें रोगनाशक गुण होते है परंतु तांबे के पात्र से पानी नही पीना चाहिये। 
             जन्म प्रसंग के दौरान श्रीकृष्ण की सजी आकर्षक झांकी 
श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग के दौरान श्रीकृष्ण की आकर्षक झांकी सजायी गयी तो ढ़ोल ढमाकों, आतिशबाजी, मंगलाचार, जयकारों, रंग गुलाल एवं सुमधुर भजनों  के बीच भ्क्ति का ऐसा रस बहा कि श्रद्धालु आनंदित होकर झूम उठे। श्रीकृष्ण के जयकारों के बीच पूरा पांडाल गोकुलधाम बन गया। कथा के अंत में भक्तों ने महाआरती कर जीवन धन्य किया। चार दिनों से जारी भागवद् कथा के दौरान प्रतिदिन सैकड़ों ग्रामीण श्रद्धालु कथा में शामिल होकर सतसंग का लाभ ले रहे है।