राजगढ़ 25 मई, 2024

शासकीय अग्रणी महाविद्यालय राजगढ़ में ‘‘भारतीय ज्ञान परम्परा के विविध संदर्भ’’ शीर्षक पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। देश के विभिन्न राज्यों से ऑनलाईन माध्यम से जुडे़ लगभग 223 शिक्षकों, विद्वानों एवं शोधार्थियों ने सहभागिता की । आभासी मंच से संचालित राष्ट्रीय वेबीनार की शुरूआत संयोजक प्रो.राहुल भैसानिया के स्वागत भाषण के साथ हुई। अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. व्ही.के. जैन ने अपने उद्बोधन में आंचलिक भौतिकवादी परम्परा एवं भारतीय परम्परा के मूल तत्व को रेखांकित किया। 

         प्राचार्य शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डॉ. व्ही.के.जैन से प्राप्त जानकारी अनुसार राष्ट्रीय वेबीनार में भारतीय ज्ञान परम्परा के विविध संदर्भो को रेखांकित करने हेतु तीन राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों को आमंत्रित किया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध मोतीलाल नेहरू महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. रमेश तिवारी, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अजीत कुमार पुरी एवं अग्रणी महाविद्यालय शाजापुर के प्राचार्य डॉ. वी.एस.विभूति ने अपने वक्तव्य के माध्यम से भारतीय ज्ञान परम्परा की विविध कडियों को खोलने का प्रयास किया। इस राष्ट्रीय वेबीनार के प्रथम वक्ता डॉ.रमेश तिवारी ने लोकमंगल एवं लोकरंजन की अवधारणा के आधार पर भारतीय ज्ञान परम्परा को रेखांकित किया। द्वितीय वक्ता डॉ.अजीत कुमार पुरी ने राष्ट्रीय अवधारणाओं को भारतीय ज्ञान परम्परा से विविध संदर्भों में जोड़कर देखा तथा अन्तिम वक्ता डॉ.वी.एस.विभूति ने राजनीतिक एवं समाजिक दृष्टिकोण से भारतीय ज्ञान परम्परा का आवलोकन किया। राष्ट्रीय वेबीनार में 40 से अधिक शोधपत्रों की प्रस्तुति हुई। प्रश्नोत्तरी से ऑनलाईन मंच जिज्ञासापूर्ण एवं ज्ञानवर्धक रहा। यह राष्ट्रीय वेबीनार ‘‘ज्ञान मंथन’’ की सफल श्रंखला रहा। जिसमें खोजी ज्ञान-परम्परा के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। वेबीनार की तकनीकी समिति सदस्य डॉ. सुभाष कुमार दांगी, डॉ. सुनीता साहू, डॉ. मोह. लुकमान मंसूरी का विशेष योगदान रहा। साथ ही महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक, अतिथि विद्वान, कार्यालयीन सदस्य तथा विध्यार्थियो ने सक्रिय सहभागिता की। इस वेबीनार का संचालन प्रो. मोहन पुरी ने किया तथा आभार डॉ. अखिलेष कुमार राय ने माना। 

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