राजेश दुबे   संडावता।     संस्कृत भारती द्वारा समीपस्थ  संस्कृत गाँव  झिरी मे  चार प्रांत  मध्यभारत, महाकोशल, मालवा एवं  छत्तीसगढ़  के 50 प्रशिक्षनार्थीयो को  बेशाख  शुक्ल पक्ष की  दशमी से ज्येष्ठ कृष्णपक्ष की  सप्तमी तक 12दिवसीय  आवासीय प्रशिक्षण  संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार करने के  लिये आठ सत्रों मे प्रतिदिन दिया जा रहा है।                                           शनिवार को आदर्श सत्र  का शुभारंभ अतिथि विधायक मोहन शर्मा, पत्रकार राजेश दुबे, देवीलाल कुशवाह एवं संस्कृत भारती के विभाग संयोजक  नरवर सिंह पँवार ने   माँ सरस्वती के  चित्र पर माल्यार्पण  कर  दीप प्रज्वलित कर  शनिवार के सत्र का शुभारंभ किया।                               अतिथि परिचय  डॉक्टर   पुरुषोत्तम  तिवारी वर्ग प्रमुख  ने करवाते  हुए  कहा की  संस्कृत भाषा सबसे पुरानी भाषा होकर सभी भाषाओं की जननी है।  देववाणी भाषा होने  से एवं हमारी संस्कृति की धरोहर होने के कारण  हम सबको यह भाषा सीखनी चाहिए।   संस्कृत भारती  के माध्यम से हम हर जिले मे संस्कृत संभाषण शिविर  लगाकर  आम जन को भी साधारण भाषा मे बोलचाल सिखाने का प्रयास कर रहे है। अतिथि स्वागत   पत्रकार राजेश बेरागी  एवं संस्कृत भारती के जिला  उपाध्यक्ष  सत्यनारायण बैरागी ने करते हुए  कहा की हमारी संस्कृति मे अतिथियों को देवताओ   के समान बताया है। आप सभी अतिथियों का संस्कृत गाँव मे वंदन है अभिनंदन है।                            12 दिवसीय  वर्ग मे प्राशिक्षणार्थियो को  बेजयन्ति माला हिमाचल प्रदेश से,  पुरुषोत्तम तिवारी भोपाल से एवं विभाग संयोजक  नरवर सिंह पँवार   संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार एवं व्याकरण के लिये प्रशिक्षण दे रहे है।        पँवार ने बताया  प्रतिदिन प्रशिक्षणार्थियो को  आठ  सत्रों के माध्यम से  संस्कृत भाषा का ज्ञान दिया जा रहा है।आठ सत्रों मे  प्रातः स्मरण, योगासन, संस्कृत भाषा का गाँवो मे जाकर प्रचार प्रसार करने के तरीके, सस्कृत का ध्येय, अमृत वचन, व्याकरण, कठिन बिंदु पर प्रकाश, प्रशिक्षणार्थियो की समस्या का समाधान, संस्कृत भाषा के  माध्यम से खेल, रोचक कविता , कहानिया, अनौपचारिक सत्र के साथ ही दीप  निर्वान कर  सत्र का समापन किया जाता है।                                      आर एस एस के विभाग प्रमुख उदय सिंह चौहान,  प्रांत समरसता प्रमुख लक्ष्मीनारायण चौहान, जिला मंत्री चन्दर सिंह चौहान  सरपंच रामनारायण चौहान  वर्ग की व्यवस्था देखने के साथ ही झिरी गाँव को विश्वपटल के मानचित्र पर संस्कृत  भाषा के नाम से पहचान दिलवाने  के लिये सतत प्रयासरत है।