बिलासपुर । मुख्यमंत्री आबादी पट्टा की फौती नामांतरण किए जाने के मामले पर नायाब तहसीलदार के नाम पर रिश्वत मांगे जाने की शिकायत कलेक्टर से की गई है। बिलासपुर जिला न्यायालय की अधिवक्ता सुगंधा गुप्ता ने कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर को ज्ञापन पत्र सौंपकर बताया कि मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन द्वारा नगरीय क्षेत्र में आबादी भूमि पर भूमि स्वामी अधिकार प्रदत्त करने का प्रमाण पत्र इनके पक्षकार स्व. गंगाधर तिवारी को मिला था। इनके पक्षकार स्व. गंगाधर तिवारी को प्रदत्त पट्टा उसमें पृष्ठ क्रमांक में दर्शाए सुविधा अनुसार उत्तराधिकार हक में स्थानांतरणीय है। उक्त पट्टे की छाया पत्र शिकायत के साथ पेश करते हुए अधिवक्ता सुगंधा गुप्ता ने कलेक्टर से अपील की है कि पक्षकार स्व. गंगाधर तिवारी के दिनांक 11-11-2019 को निधन के पश्चात उनके उत्तराधिकारियों ने दिनांक 27-3 2021 को फौती नामांतरण हेतु नायाब तहसीलदार बिलासपुर के न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया, जो संपूर्ण प्रक्रियाओ (समाचार पत्र में इश्तहार का प्रकाशन आपत्ति प्राप्त ना होना पटवारी प्रतिवेदन) का पालन किया गया। उक्त प्रकरण का नंबर 202104074600007/अ-06/2020-21 है। इस पूरे प्रकरण पर दिनांक 25-1-2022 को नायाब तहसीलदार प्रकृति ध्रुव के कार्यालयीन क्लर्क प्रीति द्वारा आदेश कराए जाने हेतु ?15000 इनसे मांगी और कहा गया कि मैडम का 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) में ड्यूटी लगा है, उनके आने के बाद दिनांक 29-1-2022 को आर्डर हो जाएगा। दिनांक 25-1-2022 को अधिवक्ता गुप्ता ने ?15000 दे दिए। फिर दिनांक 29-1-2022 को जब अधिवक्ता सुगंधा गुप्ता प्रकरण आदेश का पता करने गई तो क्लर्क प्रीति ने इनसे कहा कि ?5000 और दो तब काम होगा, मैडम ?15000 में नहीं मान रही है, तब इन्होंने कहा कि मेरा पक्षकार राशि दे पाने में सक्षम नहीं है तब उक्त क्लर्क द्वारा कहा गया कि यदि पैसे नहीं दिए गए तो मैडम(नायाब तहसीलदार, प्रकृति ध्रुव) प्रकरण को खारिज कर देगी। तब इन्होंने कहा कि समस्त वैधानिक प्रक्रियाएं पूरी की जा चुकी है बस औपचारिक आदेश करना है,?15000 बहुत होते हैं अब मैं और पैसे नहीं दे पाऊंगी और अब आदेश कराओ। बिलासपुर की युवा अधिवक्ता सुगंधा गुप्ता ने अपने शिकायत में कहा कि एक सामान्य फौती प्रकरण जिसमें समस्त प्रक्रियाएं पूरी की गई हो, कोई आपत्ति न हो मात्र पैसा न मिलने पर यह कहकर कि आबादी भूमि न होने से खसरा बी-1 संधारित नहीं होता, अत: प्रकरण में फौती नामांतरण किया जाना संभव नहीं है। प्रकरण दिनांक 31-1-2022 को खारिज कर दिया गया। प्रकरण खारिज करने का उद्देश्य यह दर्शाता है कि गरीब व्यक्ति पैसा नहीं देगा तो उसके साथ न्याय नहीं होगा। यदि आबादी भूमि का नामांतरण किया जाना संभव ही नहीं है तो नायाब तहसीलदार द्वारा प्रकरण पंजीबद्ध करना तथा दैनिक समाचार पत्र में इश्तहार का प्रकाशन कराना, अनापत्ति की मांग करना, पटवारी प्रतिवेदन मंगाना आदि प्रक्रियाएं क्यों पूरी करवाई गई ? प्रकरण शुरू में ही पोषणीय नहीं होने से निरस्त कर देना था। प्रकरण को पंजीबद्ध करना और प्रक्रियाओं का पालन करवाना यह दर्शित करता है कि अधिवक्ता सुगंधा गुप्ता द्वारा ?5000 और दे दिए गए होते तो प्रकरण खारिज नहीं होता। इनके पक्षकार द्वारा वैधानिक उपचार के रूप में अपील भी प्रस्तुत की जा रही है परंतु इन्होंने अपने पक्षकार के साथ हुए अन्याय की शिकायत और न्याय की गुहार करते हुए अधिवक्ता सुगंधा गुप्ता ने अपने पक्षकार के साथ न्याय करने की मांग करते हुए संबंधित क्लर्क पर कार्रवाई करने की मांग की है। बहरहाल देखना है कि इस पूरे प्रकरण पर कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर क्या कार्रवाई करते है जिद्दी यूथ हर भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा है और साथ ही इससे जुड़े हर लड़ाई लडऩे के लिए समस्त बिलासपुर वासियों से अपील करता हैं।