शारदीय नवरात्र की कलश स्थापना रविवार की दोपहर से
वाराणसी । महापर्व शारदीय नवरात्र महापर्व रविवार से आरंभ हो रहा है। 15 अक्टूबर को दोपहर से नवरात्रि कलश स्थापना करके विधि विधान से नवरात्र पर्व शुरू हो जाएगा। 23 अक्टूबर को दोपहर 3:10 तक नवमी तिथि होगी। इसी अवधि में नवमी के हवन, कन्या पूजन, इत्यादि के कार्यक्रम संपन्न किये जा सकेंगे। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष विनय पांडे के अनुसार 20 अक्टूबर को छठवीं,21 अक्टूबर को सप्तमी तिथि में पत्रिका प्रवेश,सरस्वती आवाहन, देवी प्रतिमाओं की पंडाल मे प्रतिष्ठा पूजन के साथ महानिशा पूजन संपन्न की जाएगी। महाअष्टमी व्रत और देवी अन्नपूर्णा की परिक्रमा 22 अक्टूबर को होगी। 23 अक्टूबर को दोपहर 3:10 तक पूजन, हवन इत्यादि की प्रक्रिया संपन्न की जाएगी। नवरात्रि का समापन 23 अक्टूबर को महानवमी पूजन से होगा। नवरात्र का समापन 23 अक्टूबर को महानवमी पूजन से होगा। इसी दिन सांय काल दशमी भी मनाई जाएगी। पंडालों में स्थापित प्रतिमाओं को 24 अक्टूबर को विसर्जित किए जाने का मुहूर्त है।
हाथी पर सवार होकर आएंगी माता
इस वर्ष नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन हाथी की सवारी के साथ हो रहा है। इसका फल शुभ व्रष्टि और अधिक वर्षा के रूप में माना जाता है। मां का गमन मुर्गा पर हो रहा है। जिसका फल आम जनमानस में व्याकुलता,व्यग्रता आदि के रूप में होता है। पुराणों में इसका उल्लेख है।
सज रहे हैं मां के दरबार
देशभर में शारदीय नवरात्रि पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। श्रद्धालुओं द्वारा देश भर में बड़े-बड़े पंडाल लगाए जाते हैं। पंडालों को सजाया जाता है। तरह-तरह की झांकियां बनाई जाती हैं। इसके साथ ही मां की विशालकाय मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। नवरात्रि पर्व पर 9 दिनों तक भक्त उपवास और व्रत रखते हैं। 9 दिन तक धार्मिक वातावरण बना रहता है। अष्टमी नवमी और दसवीं के दिन माता के दर्शन करने के लिए बड़ा हजुममां की प्रतिमाओं के दर्शन करने के लिए उमडता है। इस अवसर पर मां वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। हर गांव शहर के देवी मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्त पहुंचकर पूजन अर्चन करते हैं। भारत में लगभग सभी प्रदेशों में बड़ी धूमधाम के साथ नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में तो इसकी छटा देखने योग्य होती है।