मथुरा । मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण की तैयारियां चल रही हैं। इस सर्वेक्षण में लोगों में मनमुटाव नहीं हो इस पर काम किया जा रहा है। मथुरा के मूल लोकाचारों में से एक की याद दिलाते हुए तैयारियों को पूरा कराया जा रहा है। 
शाही ईदगाह मस्जिद के चारों तरफ भारी किलेबंदी है। सुरक्षा के चाक- चौबंद इंतजाम किए गए हैं। शाही ईदगाह के रास्ते में अंतिम सड़क पार करने पर सद्भावना डीग गेट पुलिस चौकी है। लोगों की मांग पर पिछले साल चौकी में सद्भावना शब्द जोड़ा गया था। भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में हिंदू आबादी करीब 80 फीसदी है। यहां पर हिंदू समुदाय मुस्लिम धर्म मानने वालों के साथ हमेशा सद्भावना के साथ मिलकर रहते हैं। आगे भी वे किसी भी प्रकार की स्थिति में इस सद्भावना को बरकरार रखने की बात कर रहे हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति दी है। इसको लेकर हवा का रुख बदल रहा है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर मथुरा और वृंदावन में रहने वाले मुस्लिम परिवार हो रहे बदलावों को लेकर सावधान हैं। मथुरा में रहने वाले कई हिंदुओं का कहना है कि हम श्रीकृष्ण को उनका हक मिलते देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मथुरा अयोध्या से अलग है। अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के संरक्षक महेश पाठक ने कहा कि कृष्ण का यहां हमेशा एक भव्य स्थान था। अयोध्या में राम एक अस्थायी स्थान पर रहते थे। मथुरा में शांति की कीमत पर कुछ भी नहीं होना चाहिए। अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के संरक्षक महेश पाठक कहते हैं कि मथुरा के लोगों ने वास्तव में जन्मभूमि और आसपास की मस्जिद से संबंधित मुद्दे नहीं उठाए हैं। कुछ बाहरी लोगों ने अदालत में मामला दायर किया है। वर्ष 1968 में दोनों पूजा स्थलों के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक समझौता हुआ था। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर से संबंधित मामला सुलझने के बाद लगातार केस दर्ज कराए जाने के समय पर सवाल उठाया। मथुरा से बीजेपी सांसद हेमा मालिनी का कहना है कि यहां पहले से ही एक कृष्ण मंदिर है। हेमा मालिनी कहती हैं कि शाही ईदगाह और जन्मभूमि के विवादास्पद मुद्दे को करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सभी के साथ मिलकर हल किया जाना चाहिए।