नई दिल्ली : भारत और इंग्लैंड के बीच मैनचेस्टर टेस्ट के पांचवें दिन मैदान पर हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिला। भारतीय बल्लेबाजों रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर ने इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स के मैच के अंतिम घंटे की शुरुआत से पहले ड्रॉ पर सहमति जताने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इससे बौखलाए अंग्रेजों ने भारतीय खिलाड़ियों को स्लेज करने की कोशिश की। इतना ही नहीं कप्तान स्टोक्स ने गेंदबाजी आक्रामण पर हैरी ब्रुक और जो रूट को लगा दिया। रूट पार्ट-टाइमर हैं, जबकि ब्रुक का आना चौंकाने वाला था।

जैसे ही जडेजा और सुंदर ने शतक पूरा किया, मैच को ड्रॉ पर समाप्त करने की घोषणा हुई। हालांकि, इस पूरे विवाद पर स्टोक्स की जमकर आलोचना हो रही है। मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्टोक्स ने इस पूरे मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। साथ ही यह भी बताया कि ब्रुक से गेंदबाजी कराने का फैसला क्यों लेना पड़ा। स्टोक्स ने भले ही मैदान पर विवाद किया हो, लेकिन उन्होंने जडेजा और सुंदर की तारीफ भी की।

'80-90 रन की जगह 100 रन बना लेने से...'

स्टोक्स ने मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'उन दोनों ने जो पारी खेली वह बहुत-बहुत अच्छी थी। शून्य पर दो विकेट गिरने के बाद और फिर शुभमन गिल और केएल राहुल के विकेट के बाद हमने मैच को थोड़ा खोलने की कोशिश की थी, लेकिन जडेजा और सुंदर के बीच वह साझेदारी बहुत बड़ी थी। उन्होंने अविश्वसनीय खेल दिखाया और आप खुले हाथों से दोनों की तारीफ कर सकते हैं। अपनी टीम को मुश्किल स्थिति से बाहर निकालने के बाद मुझे नहीं लगता कि नाबाद 80-90 रन की जगह नाबाद 100 रन बना लेने से बहुत अधिक संतुष्टि मिलती है। आपने मैच बचाकर ही अपनी टीम के लिए बहुत बड़ा काम किया है। 10 और रन या जो भी था, उसे बना लेने से यह तथ्य बदलने वाला नहीं है कि आपने अपनी टीम को बेहद मुश्किल स्थिति से बाहर निकाला है और आखिरी गेम से पहले अपनी टीम को सीरीज हार से लगभग बचा लिया है।'

स्टोक्स ने ब्रुक से गेंदबाजी कराने के फैसले का बचाव किया

स्टोक्स के ब्रुक और रूट से गेंदबाजी कराने के कदम की कई लोगों ने आलोचना की थी। स्टोक्स से जब इस फैसले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने पूरे जोश के साथ इसका बचाव किया। कप्तान ने कहा कि चूंकि मैच का नतीजा आने वाला नहीं था और वह अंतिम कुछ ओवरों में अपने मुख्य गेंदबाजों को चोटिल होने की जोखिम में डालने के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि हम अपने फ्रंटलाइन गेंदबाजों के साथ मैच को जहां तक ले जा सकते थे, ले गए। जहां तक हम सोच सकते थे कि हमारे पास अभी भी इस मैच को जीतने का वास्तविक मौका है, तब तक हमने उनसे गेंदबाजी करवाई। लेकिन जैसे ही यह उस बिंदु पर पहुंच गया, जहां यह ड्रॉ होना तय था, मैं कभी भी अपने किसी भी फ्रंटलाइन गेंदबाज को चोटिल होने के खतरे में नहीं डालने वाला था। इस पूरी सीरीज के दौरान हमें जितना वर्कलोड मिला है, उसमें मैं कोई जोखिम नहीं उठाना चाहता था। आखिरी 15 ओवर या आखिरी घंटे में किसी भी वक्त हाथ मिलाने का फैसला लिया जा सकता था।'

'सब जानते थे वहां क्या चल रहा था...'

स्टोक्स ने कहा, 'उस वक्त हमारी टीम से मैदान पर एकमात्र अन्य खिलाड़ी, जिसे थोड़ी बहुत गेंदबाजी की जानकारी है, वह हैरी ब्रुक थे। लेकिन मुझे उससे कहना पड़ा- कृपया कुछ भी बेवकूफी न करना। हमने मैदान में बहुत समय फील्डिंग करते हुए बिताया है और ऐसे में कुछ अलग करने की कोशिश मत करना। स्वाभाविक रूप से हम काफी थके हुए थे। भले ही आप गेंदबाजी न करें, लेकिन फील्डिंग करते हुए भी हम थकते हैं। तो मैं बस उस समय को निकालना चाहता था। मैं उस स्थिति में अपने किसी भी फ्रंटलाइन गेंदबाजी विकल्प को जोखिम में नहीं डालने वाला था, जब हम जानते थे कि वहां क्या चल रहा था।'

आखिरी टेस्ट 31 जुलाई से ओवल में

मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में भारत की पहली पारी के 358 रन के जवाब में इंग्लैंड ने 669 रन बनाए थे। अपनी दूसरी पारी 311 रन पिछड़ने के बावजूद भारतीय खिलाड़ियों ने जुझारू बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया और 143 ओवर में चार विकेट पर 425 रन बनाए। टीम ने बिना कोई रन बनाए दो विकेट गंवाने के बावजूद कप्तान गिल की अगुआई में शानदार बल्लेबाजी की। गिल ने 103 रन बनाने के अलावा लोकेश राहुल (90 ) के साथ 188 रन की साझेदारी से मैच में भारत की वापसी कराई। इसके बाद जडेजा (107 नाबाद) और सुंदर (101 नाबाद) ने इंग्लैंड के गेंदबाजों को सफलता से दूर रखा। सीरीज में अभी भी इंग्लैंड की टीम 2-1 से आगे है। आखिरी मुकाबला 31 जुलाई से लंदन के ओवल मैदान में खेला जाएगा।